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24 अक्टूबर 2009

एमपी की मंडियों में कपास के दाम एमएसपी से ऊपर

विदेशी मांग से समर्थन मिलने के कारण इस साल कपास न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ऊंचे दामों पर खुले बाजार में खूब बिक रही है। आमतौर पर मध्य अक्टूबर तक कपास की खरीद शुरू करने वाले कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने इस साल अभी तक खरीद शुरू नहीं की है। खुले बाजार में फिलहाल कपास के दामों में तेजी का रुख बना हुआ है। सीसीआई के सहायक महा प्रबंधक अतुल काला ने बिजनेस भास्कर को बताया कि सीसीआई ने खरीद के लिए पूरी तैयारी कर ली है। प्रदेश भर में ख्त्त खरीद केंद्र बनाए हैं। यदि कहीं भी दाम एमएसपी से नीचे जाते है तो वहां खरीद की जाएगी। इसके अलावा सीसीआई ने प्रदेश की मिलों के साथ समझौता प्रक्रिया शुरू कर दी है। जहां पर सीसीआई की खरीद कपास की जिनिंग और प्रेसिंग की जाएगी। काला ने बताया कि 9त्त मिलों ने सीसीआई को इस बार में अपनी सहमति दे दी है जो कपास की प्रोसेसिंग सीसीआई के लिए करंगी। इस महीने की शुरूआत में कपास के दाम फ्स्त्रक्क्-फ्9क्क् रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर थे जो फिलहाल फ्8क्क्-ब्क्क्क् रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर बने हुए हैं। इसी अवधि में रुई के दाम फ्फ्,फ्क्क् रुपये से बढ़कर फ्ब्,भ्क्क् रुपये प्रति कैंडी (प्रति कैंडी 360 किलो) पर पहुंच गए है। कपास के दामों में यह तेजी आवक में बढ़ोतरी के बावजूद हो रही है। इस समय प्रदेश में कपास की आवक म्क्क्क् गांठ के करीब है। खरगोन के कपास व्यापारी मंजीत कुमार के अनुसार निर्यातकों की खरीद के चलते कपास के दामों में तेजी आ रही है। निर्यातक मान रहे हैं कि चीन से रुई की मांग निकलने वाली है। अधिक नमी वाली कपास के दाम एमएसपी से जरूर नीचे हैं। सीसीआई ख्फ् फीसदी तक नमी वाली कपास खरीदती है। एमपी में म्।8त्त लाख हैक्टेयर में कपास की बुवाई हुई है। पहले इस साल का उत्पादन अनुमान ख्म् लाख गांठ का लगाया जा रहा था लेकिन राज्य में ख्9-फ्क् लाख गांठ कपास पैदा होने की संभावना है। हालांकि अभी तक सरकार ने उत्पादन के आंकडे जारी नहीं किए हैं। इसी तरह देश में उत्पादन अनुमान बढ़कर ब्फ्क्-ब्फ्म् लाख गांठ तक पहुंच गया है। (बिज़नस भास्कर)

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