भुवनेश्वर October 20, 2009
भारत में जूट की खेती करने वाले 40 लाख से ज्यादा किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन (आईजेएमए) ने किसानों को 2010-11 तक प्रमाणित बीज की आपूर्ति किए जाने की मांग की है।
देश के जूट उद्योग की शीर्ष संस्था आईजेएमए ने पहले ही इस सिलसिले में कृषि और कपड़ा मंत्रालय तथा भारतीय जूट निगम के पास अपने प्रतिनिधि भेज दिए हैं, जिससे जूट के प्रमाणित बीज की आपूर्ति की जा सके। इसके साथ ही देश से बीज के निर्यात की जांच की मांग भी उठाई है।
एसोसिशन का कहना है कि घरेलू बाजार में बीज के अटकलबाजी के बाजार को बंद किया जाना चाहिए, जिसके माध्यम से आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के बीज कार्टेल से जुड़े लोग कीमतों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं।
आईजेएमए ने कृषि और कपड़ा मंत्रालयों से जूट किसानों के लिए सिंचाई, जल संसाधन और अन्य बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने का अनुरोध किया है। इस साल जूट सेक्टर मॉनसूनी बारिश की कमी के चलते आंशिक रूप से दबाव में है, लेकिन बाद में हुई बारिश से बेहतर उत्पादन की संभावना बनी है। बुनियादी ढांचे के मामले में जूट उद्योग ने जूट की बोरियों की आपूर्ति के बारे में नियमों को सुदृढ़ करने की मांग की है।
आईजेएमए ने इस क्षेत्र की समस्याओं के अध्ययन के लिए तीसरे पक्ष को नियुक्त करने की भी बात कही है, जिससे सरकारी खरीद और अन्य परेशानियों के बारे में सही जानकारी मिल सके। इस सिलसिले में एसोसिएशन केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय और आपूर्ति तथा निपटान निदेशालय से सकारात्मक उत्तर की प्रतीक्षा में है।
एसोसिएशन ने मशीनरी अधिग्रहण पर पूंजी सब्सिडी वृध्दि योजना को शीघ्र लागू किए जाने की भी मांग की है। केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय ने जूट मिलों की पूंजी सब्सिडी प्रति मिल 75 लाख से बढ़ाकर 3.5 करोड़ करने की घोषणा की है, लेकिन इसे लागू किया जाना अभी बाकी है। जूट उद्योग ने निर्यात प्रोत्साहन योजना शुरू किए जाने की भी मांग की है, जो प्रभावी तरीके से निर्यात कारोबार में भूमिका निभा सके।
आईजेएमए की मांग
2010-11 तक सभी किसानों को मिलें प्रमाणित बीजकार्टेल बनाकर अटकलबाजी करने और बीज के दाम प्रभावित करने वाले कारोबारियों पर लगे रोकबारिश में कमी के चलते उत्पादन में कमी की आशंका थी, लेकिन देर से हुई बारिश से उम्मीदें बढ़ीं (बीएस हिन्दी)
22 अक्टूबर 2009
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