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26 अक्टूबर 2009

मांग बढ़ने से रॉ-कॉटन निर्यात बढ़ने का सिलसिला शुरू

विदेशों से मांग बढ़ने के कारण काफी समय से सुस्त पड़े रॉ-कॉटन के निर्यात में तेजी आनी शुरू हो गई है। अगस्त में जहां रॉ-कॉटन का निर्यात 1.18 लाख गांठ (एक गांठ = 170 किलो) का हुआ था, वहीं पिछले महीने ऑर्डर न मिलने और विदेशों से मांग न होने के कारण यह 56,630 गांठ तक सिमट गया था, लेकिन कारोबारियों के अनुसार बीते लगभग दस दिनों से इसके निर्यात में बढ़ोतरी शुरू हो गई है।रॉ-कॉटन कारोबारी समीर लोढ़ा के अनुसार चूंकि दुनिया में भारत को छोड़कर अन्य देशों में कॉटन का उत्पादन कम हुआ है, इसीलिए देश से निर्यात बढ़ रहा है। उल्लेखनीय है कि विश्व में चीन के बाद कॉटन उत्पादन में भारत का दूसरा स्थान है। यहां से प्रतिवर्ष लगभग 50 से 80 लाख गांठ का कॉटन निर्यात होता है। पिछले एक साल से वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण भारत से अमेरिका व यूरोपीय देशों को भेजे जाने वाले रॉ-कॉटन का निर्यात बेहद कम हो गया था। कॉटन निर्यातक शारिक के अनुसार देश में कॉटन की अच्छी पैदावार और त्योहारों की वजह से विदेश से बढ़ी मांग की वजह से ही रॉ-कॉटन के निर्यात को बढ़ावा मिल रहा है। वैश्विक स्तर पर अगर कॉटन की पैदावार के आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2008 में 234 लाख टन कॉटन की पैदावार हुई थी। चालू वर्ष पूर विश्व में कॉटन की पैदावार 231 लाख टन होने का अनुमान है। भारत में वर्ष 2007-08 में 315 लाख गांठों का उत्पादन हुआ था जो वर्ष 2008-09 में घट कर 290 लाख गांठ तक हो गया था। कॉटन कॉरपोरशन ऑफ इंडिया का अनुमान है कि चालू वर्ष 2009-10 में देश में कॉटन का उत्पादन 305 लाख गांठ रहेगा।पिछले वर्ष देश में कॉटन की खेती 94.06 लाख हेक्टेयर में हुई थी। इस वर्ष कम बारिश के बावजूद कॉटन की बुआई 96.46 लाख हेक्टेयर में हुई है। उल्लेखनीय है कि कॉटन की पैदावार को बढ़ाने के लिए सरकार ने इसका समर्थन मूल्य पिछले साल की तरह इस साल भी 2850 रुपए प्रति क्विंटल ही रखा है। रॉ-कॉटन का निर्यात बढ़ने के कारण महाराष्ट्र समेत देश की अन्य बड़ी मंडियों में भी कपास की आवक बढ़ने लगी है। महाराष्ट्र में प्रतिदिन लगभग 20 हजार गांठों की आवक मंडियों में हो रही है। कर्नाटक और आंध्र प्रदेश की मंडियो में रोजाना तकरीबन 60 हजार गांठें आ रही है। इसी तरह उत्तर भारत में पंजाब और हरियाणा की मंडियो में भी लगभग 20 से 22 हजार गांठें रोज आ रही हैं। (बिसनेस भास्कर)

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