नई दिल्ली : देश में मानसून के कमजोर रहने और काफी बड़े इलाके में सूखे की स्थिति बनने से चालू वित्त वर्ष के दौरान खाद्यान्न उत्पादन में 1।1 करोड़ टन की कमी हो सकती है। यह अनुमान प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद यानी पीएमईएसी ने लगाया है। परिषद ने कहा है कि देश के आधे हिस्से में सूखे की वजह से कृषि और इससे जुड़े सेक्टर के उत्पादन में दो फीसदी की गिरावट आ सकती है। पिछले वित्त वर्ष के दौरान इनके उत्पादन में 1.6 फीसदी का इजाफा हुआ था। प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद ने 2009-10 के इकनॉमिक आउटलुक में कहा है कि सालाना कृषि उत्पादन में दो फीसदी की कमी आ सकती है। वर्ष 2009-10 के दौरान खाद्यान्न उत्पादन पिछले वित्त वर्ष के 23.4 करोड़ टन के मुकाबले 22.3 करोड़ टन रह सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस सीजन में तिलहन की उपज भी 60 लाख टन घटकर 27।6 करोड़ टन के स्तर पर रह सकती है। परिषद का कहना है कि अगर इस सीजन में मानसून की अच्छी बारिश होती तो कृषि उत्पादन में कम-से-कम चार फीसदी की बढ़ोतरी दर हासिल हो सकती थी। गौरतलब है कि देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में कृषि का लगभग 18 फीसदी योगदान होता है। इस साल मानसून की बारिश कम होने से जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान 7 फीसदी घट सकता है। (ई टी हिन्दी)
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