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27 अक्टूबर 2009

विदेशी और घरेलू मांग से जीरा चमका

निर्यातकों के साथ घरेलू मांग बढ़ने से पिछले एक सप्ताह में जीरे की कीमतों में 6।5 फीसदी की तेजी दर्ज की गई। सोमवार को ऊंझा मंडी में जीरे के भाव बढ़कर 12,150 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। सितंबर महीने में भारत से जीरे के निर्यात में 187 फीसदी का इजाफा हुआ है। जबकि अन्य प्रमुख उत्पादक देशों टर्की और सीरिया के पास जीरे का बकाया स्टॉक कम है। इसलिए आगामी दिनों में भारत से निर्यात मांग बराबर रहने की संभावना है जिससे मौजूदा कीमतों में और भी तेजी की उम्मीद है।मुंबई स्थित मैसर्स जैब्स प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर भास्कर शाह ने बिजनेस भास्कर को बताया कि खाड़ी के साथ ही यूरोप के आयातकों की अच्छी मांग बनी हुई है। ब्याह-शादियों का सीजन शुरू होने के कारण घरेलू मांग भी बराबर आ रही है। जिससे जीरे की तेजी को बल मिल रहा है। पिछले एक सप्ताह में उत्पादक मंडियों में जीरे की कीमतों में करीब 750 रुपये की तेजी आकर भाव 12,150 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। अंतरराष्ट्रीय बाजार में टर्की और सीरिया के जीरे के भाव बढ़कर 2700 डॉलर प्रति टन (एफओबी) हो गए हैं। जबकि भारतीय जीरे के भाव 2350 डॉलर प्रति टन चल रहे हैं। टर्की के पास इस समय तीन-चार हजार टन और सीरिया के पास सात-आठ हजार टन का ही स्टॉक बचा है। भारत के पास इस समय करीब नौ से दस लाख बोरी (एक बोरी 55 किलो) का स्टॉक बचा हुआ है। इसीलिए आगामी दिनों में भारत से निर्यातकों की मांग बराबर रहने की उम्मीद है।भारतीय मसाला बोर्ड के सूत्रों के अनुसार सितंबर महीने में यूरोप और खाड़ी देशों की भारी मांग से जीरे के निर्यात में 187 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान भारत से जीरे का निर्यात बढ़कर 6,000 टन का हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसका निर्यात 2,090 टन का ही निर्यात हुआ था। जीरा निर्यातक रजनीकांत बी. पोपट ने बताया कि विश्व स्तर पर आर्थिक स्थिति सुधर रही है। वैसे भी अन्य देशों के मुकाबले भारतीय जीरे के भाव काफी नीचे चल रहे हैं। ऐसे में आगामी दिनों में भारत से जीरे की निर्यात मांग में और भी इजाफा होने की उम्मीद है।मैसर्स हनुमान प्रसाद पीयूष कुमार के प्रोपराइटर वीरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि गुजरात के सौराष्ट्र के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र जूनागढ़, जामनगर, राजकोट, भावनगर, अमरेली, और सुरेंद्रनगर में बुवाई का कार्य शुरू हो चुका है तथा उत्तरी गुजरात के बनासकांटा, मेहसाणा और पाटन में बुवाई नवंबर के प्रथम सप्ताह में शुरू हो जाएगी। राजस्थान में बुवाई का कार्य नवंबर के मध्य में शुरू होने की संभावना है।rana@businessbhaskar.net (आर अस राणा)

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