22 अक्तूबर 2009
चीनी मिल की याचिका पर कोर्ट ने लगाई गुड़ कोल्हुओं पर रोक
गन्ने के चालू पेराई सत्र (2009-10) में इलाहाबाद हाईकोर्ट का एक आदेश पूरी फिजा को ही बदल सकता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुड़ बनाने वाले कोल्हुओं के परिचालन पर रोक लगाने के संबंध में आदेश पारित किया है। वीनस शुगर लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि चीनी मिल के रिजर्व एरिया में कोल्हुओं के गैर कानूनी परिचालन पर रोक लगाई जाए। मिल ने अपनी याचिका में कहा था कि मुरादाबाद जिले के मझवाली इलाके में कम से कम 49 गैर कानूनी कोल्हु काम कर रहे हैं। यह पूरा क्षेत्र चीनी मिल के केन एरिया में आता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के दो जजों अमिताभ लाला और अशोक श्रीवास्तव की खंडपीठ ने वीनस शुगर लिमिटेड की दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि कोल्हुओं पर रोक इस शर्त के साथ लागू होगी कि चीनी मिल अपने केन रिजर्व एरिया में गन्ने की पूरी फसल किसानों से खरीदे और समय पर उसका भुगतान करे। कोर्ट का यह आदेश बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि केंद्र सरकार ने 31 जुलाई 2007 को नोटिफिकेशन जारी कर गुड़ को शुगरकेन कंट्रोल ऑर्डर, 1966 से अलग कर दिया था। इससे कोल्हुओं को लाइसेंस और पेराई सत्र के दौरान उत्पादन सीमा से छूट मिल गई थी। एक चीनी मिल के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि तकनीकी रूप से गुड़ का व्यवसायिक उत्पादन करने के लिए राज्य सरकार की अनुमति की जरूरत होती है जिसका अर्थ है कि जो भी गैर-लाइसेंसधारी कोल्हू कार्य कर रहे हैं, वे गैर-कानूनी है। इस आदेश पर प्रतिक्रिया जताते हुए किसान मजदूर संगठन के संयोजक वी. एम. सिंह ने कहा कि हम इस आदेश के विरुद्ध अपील करेंगे। गन्ना उगाने वाले किसानों को सिर्फ चीनी मिलों को गन्ना बेचने के लिए कैसे बाध्य किया जा सकता है? उन्होंने सरकार पर चीनी मिल के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया। सिंह ने कहा कि अभी तक न तो राज्य सरकार ने गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) तय किया है और न ही अभी तक गन्ना रिजर्वेशन आर्डर ही जारी हुए हैं। कोर्ट के इस आदेश से अन्य चीनी मिलें भी अब कोर्ट की शरण में जाकर अपने क्षेत्र में परिचालित कोल्हुओं पर रोक की मांग कर सकती हैं। यूपी में चीनी मिलें नवंबर के पहले सप्ताह से परिचालन शुरू करने जा रही हैं। राज्यों को अभी रिजर्वेशन ऑर्डर चीनी मिलों को देना है और गन्ने का मूल्य भी निर्धारित करना है। इन दोनों ही घोषणाओं की संभावना अगले सप्ताह हो सकती है। वहीं, जिन कोल्हुओं ने परिचालन शुरू कर दिया है, वे 200 रुपये प्रति क्विंटल तक का भाव किसानों को दे रहे हैं। लेकिन, जब चीनी मिलें परिचालन शुरू कर देंगी तो यह भाव बढ़ने की उम्मीद है। ऐसे में अगर कोल्हुओं पर रोक लगाई जाती है तो राज्य सरकार को राजनीतिक संतुलन के लिए गन्ने के भाव में बढ़ोतरी करनी होगी।harvir@businessbhaskar.netड्यूटी फ्री चीनी का आयात अगले दिसंबर तक नई दिल्ली। सरकार ने शुल्क मुक्त चीनी आयात की अवधि को 13 माह के लिए बढ़ा दिया है। देश में अगले साल दिसंबर तक चीनी का आयात किया जा सकेगा। पहले इस साल नवंबर तक ही चीनी आयात की अनुमति दी गई थी। सरकार ने नए मार्केटिंग वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) में घरेलू चीनी उत्पादन 160 लाख टन रहने का अनुमान लगाया है। केंद्र सरकार ने राशन की दुकानों पर बिक्री के लिए लेवी के दौर पर मिलों से ली जाने वाली चीनी का खरीद मूल्य भी बढ़ा दिया है ताकि गरीबों को चीनी सुलभ कराई जा सके। खुले बाजार में चीनी के दाम बढ़कर करीब दोगुने हो चुके हैं। देश में करीब 235 लाख टन चीनी की हर साल खपत होती है।खाद्य व कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा कि इस अक्टूबर से शुरू नए सीजन में चीनी का घरेलू उत्पादन 160 लाख टन रह सकता है। (प्रेट्र )
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