ईटी नाउ: कस्टम विभाग ने सोने के आयात-निर्यात नियमों में कुछ बदलाव किए हैं। देश में कुछ अधिकृत आपूर्तिकर्ता कीमती धातुओं का शुल्क मुक्त आयात करते हैं और फिर उन्हें ज्वैलरी बनाने वालों को बेचते हैं। ज्वैलरी निर्माता इन धातुओं का मूल्य संवर्द्धन कर उन्हें निर्यात कर देते हैं। अब नए नियमों के तहत अगर निर्यातक निर्यात संबंधी लक्ष्य हासिल करने में विफल रहते हैं तो आयात शुल्क इकट्ठा करने का जिम्मा आपूर्तिकर्ताओं पर डाल दिया गया है। इस नियम से विभाग को कर चोरी रोकने में भी मदद मिलेगी। इसके अलावा विभाग ने सोना, चांदी प्लैटिनम जैसी कीमती धातुओं का आयात करने वाले योग्य आपूर्तिकर्ताओं की सूची में भी इजाफा किया है। इस कदम से आभूषण निर्यातकों को इन धातुओं की तेज और सस्ती आपूर्ति हो सकेगी। विभिन्न बैंक, एसटीसी और एमएमटीसी सहित कीमती धातुओं के तमाम आपूर्तिकर्ताओं को आभूषण निर्यातकों को दी जाने वाली शुल्क मुक्त कीमती धातुओं की मात्रा का विस्तृत विवरण रखना होगा और निर्यात लक्ष्य हासिल कर पाने में किसी भी तरह की कमी की रिपोर्ट सीमा शुल्क विभाग को सौंपनी होगी।
ऐसे किसी डिफॉल्ट के मामले में उन्हें आयात शुल्क का भी भुगतान करना पड़ेगा और फिर उसे निर्यातकों से वसूल करना होगा। प्रति 10 ग्राम सोने पर 200 रुपए का आयात शुल्क देना पड़ता है, लेकिन अगर इस पीली धातु का इस्तेमाल निर्यात के लिए ज्वैलरी बनाने में होता है तो उस पर कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है। इस नए नियम से निर्यातकों को लाभ होगा और कस्टम विभाग पर काम का बोझ कम होगा, लेकिन इससे आधिकारिक आपूर्तिकर्ताओं पर अतिरिक्त भार पड़ेगा। नाम न छापने की शर्त पर सोने के ट्रेड में शामिल एक सूत्र ने बताया कि इस कदम का मकसद यह है कि उन्हें कस्टम ड्यूटी का भुगतान करना पड़े, चाहे निर्यातकों के साथ डिफॉल्ट के मामले में विवाद ही क्यों न हो। सोने, चांदी और प्लैटिनम की आपूर्ति करने वाली आधिकारिक नामित एजेंसियों की संख्या में भी बढ़ोतरी की गई है। ज्वैलरी निर्यातकों को सोने और चांदी की आपूर्ति के लिए जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल एंड डायमंड इंडिया लिमिटेड को आधिकारिक एजेंसी नियुक्त किया गया है। कस्टम विभाग के अनुसार एक स्टार ट्रेडिंग हाउस या प्रीमियर ट्रेडिंग हाउस को भी आधिकारिक आपूर्तिकर्ता के रूप में नामित किया जा सकता है। नाम न छापने की शर्त पर कस्टम विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि इस कदम से ज्वैलरी निर्माताओं को तेजी से और सस्ते शुल्क मुक्त सोने की आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी। यह कदम इस मायने में महत्वपूर्ण माना जा रहा है कि इस समय कीमती धातुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं और कच्चे माल की लागत बढ़ने के कारण निर्यातकों को काफी दबाव का सामना करना पड़ रहा है। 2008-09 में जेम और ज्वैलरी का निर्यात 21 अरब डॉलर रहा था। जेम्स और ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन के उत्तरी क्षेत्र के ऑफिस से जुड़े डॉ। राजेंद्र का कहना है कि पश्चिमी देशों में मांग में अभी तेजी नहीं आई है। सोने की कीमत इस समय 16,000 रुपए प्रति 10 ग्राम के आसपास चल रही है। (ई टी हिन्दी)
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