नई दिल्ली October 14, 2009
इस साल उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों में गन्ने की पेराई सामान्य के मुकाबले लगभग डेढ़ महीने की देरी से शुरू होगी।
मिलर्स नए सत्र से 10 फीसदी की जगह 20 फीसदी लेवी की चीनी देने के सरकारी फैसले से भी चिंतित नजर आ रहे हैं। दूसरी तरफ प्रदेश सरकार द्वारा अब तक गन्ने के राज्य मूल्य घोषित नहीं होने से किसान अपना रुख तय नहीं कर पा रहे हैं। अब दीवाली के बाद ही गन्ने के राज्य मूल्य के ऐलान की संभावना है।
चीनी मिलों के मुताबिक इस साल उत्तर प्रदेश में गन्ने के उत्पादन में 10 फीसदी से अधिक की कमी है। पिछले साल भी गन्ने का उत्पादन कम हुआ था और अप्रैल के पहले सप्ताह तक चलने वाली मिलें फरवरी आखिर तक ही चल पायी थी। इस साल इससे भी कम समय तक मिलें चलेंगी।
ऐसे में मिल मालिक गन्ने की पेराई शुरू करने में कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहते। सहारनपुर स्थित दया शुगर के सलाहकार डीके शर्मा कहते हैं, 'कोई भी मिल 15 नवंबर से पहले गन्ने की पेराई शुरू नहीं करने जा रही है। वैसे उत्तर प्रदेश की अधिकतर मिलें 20 नवंबर के बाद ही अपना काम शुरू करेंगी।'
वे यह भी कहते हैं कि फिलहाल गन्ने की रिकवरी भी मात्र 7.5 फीसदी तक की पायी गयी है। कम से कम 9 फीसदी की रिकवरी मिलने के बाद ही मिल वाले गन्ने की पेराई करना चाहेंगे। दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के किसान गन्ने के राज्य मूल्य घोषित नहीं होने से रुआंस नजर आ रहे हैं।
उन्हें उम्मीद थी कि सरकार दीवाली के पहले इस मूल्य की घोषणा कर देगी, लेकिन अब दीवाली के बाद ही गन्ने के राज्य मूल्य घोषित होने की संभावना है। हालांकि उत्तर प्रदेश के गन्ना आयुक्त ने किसान एवं मिल मालिकों की राय जानने के बाद अपनी रिपोर्ट प्रदेश सरकार को सौंप दी है।
मिल मालिकों ने बताया कि उनके बीच लेवी की चीनी को लेकर ऊहापोह की स्थिति है। उन्हें इस बात का खुलासा नहीं हो पा रहा है कि सरकार किस दर पर लेवी की चीनी लेगी। अगर सरकार बाजार मूल्य पर लेवी की चीनी लेती है तो उन्हें 10 फीसदी की जगह 20 फीसदी देने में कोई ऐतराज नहीं है।
लेकिन पुरानी दर पर 20 फीसदी चीनी देना उनके लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है। अब तक सरकार चीनी मिलों से 1200-1400 रुपये प्रति क्विंटल की दर से उत्पादन का 10 फीसदी लेवी के रूप में लेती रही है। (बीएस हिन्दी)
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