कोच्चि October 15, 2009
अगले सीजन में काली मिर्च की फसल बेहतर रहने की संभावना को देखते हुए वियतनाम ने अपना इकट्ठा स्टॉक खाली करना शुरू कर दिया है। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में काली मिर्च की कीमतों में तेज गिरावट दर्ज की गई है।
वैसे तो इस समय काली मिर्च की सभी प्रजाति 3000 डॉलर प्रति टन से कम कीमत पर उपलब्ध हैं। लेकिन भारत में अब भी इसका कारोबार 3150 डॉलर प्रति टन की कीमत पर ही हो रहा है। इसकी वजह रुपये का मजबूत होने के साथ ही वायदा में पहले से हुई खरीद के कारण स्थानीय बाजार को भी अंतरराष्ट्रीय बाजार के हिसाब से चलना पड़ रहा है।
वियतनाम इस समय एएसटीए की बिक्री 2950 डॉलर प्रति टन के हिसाब से कर रहा है जबकि इंडोनेशिया और ब्राजील में इसकी कीमत 2850 डॉलर प्रति टन है। भारत काफी मात्रा में लैंपोंग एएसटीए का आयात कर रहा है। रुपये के मजबूत होने से काली मिर्च के आयात को और बढ़ावा मिला है।
अनुमान है कि आने वाले दो महीनों में वियतनाम अपना बैक लॉग यानी करीब 20,000 टन का स्टॉक खाली कर लेगा। इससे काली मिर्च की कीमतों में और गिरावट आने की आशंका है। दरअसल नवंबर और दिसंबर में इसकी बिक्री करना काफी मुश्किल होगा क्योंकि तब तक अमेरिका और यूरोप के बाजारों में क्रिसमस और नए साल की तैयारी शुरू हो जाएगी।
इसीलिए वियतनाम और इंडोनेशिया जल्द से जल्द अपने स्टॉक की बिक्री करना चाहते हैं। अमेरिकी खरीदार अगले साल के लिए खरीदारी कर रहे हैं। खासतौर पर 2010 की पहली तिमाही के लिए क्योंकि उन्हें तब तक कीमतों में इजाफा होने की आशंका है।
कई कारोबारियों ने तो 3100 डॉलर प्रति टन की कीमत के हिसाब से करीब 1000 टन काली मिर्च खरीद भी ली है। इस साल के अंत तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में काली मिर्च का स्टॉक काफी कम रहने की उम्मीद है। इसकी प्रमुख वजह है वियतनाम और इंडोनेशिया द्वारा कम कीमत पर काली मिर्च बेचना। इसीलिए अमेरिकी आयातक अगले साल जनवरी-मार्च के लिए अभी से इसकी खरीदारी कर रहे हैं। (बीएस हिन्दी)
16 अक्तूबर 2009
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