बेंगलुरु October 13, 2009
इस हफ्ते नई दिल्ली में जब बायोटेक्नोलॉजी नियामक संस्था जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रूवल कमेटी (जीईएसी) की बैठक होगी तो उम्मीद है कि उसमें जीन प्रसंस्करित (जीएम) बैंगन के व्यावसायिक इस्तेमाल को मंजूरी दी जा सकती है।
जीएम बैंगन के व्यावसायिक इस्तेमाल का मामला कई साल से लटका हुआ है। प्रिंसटन विश्वविद्यालय के वरिष्ठ शोधकर्ता शांतु शांताराम ने बताया, 'बीटी बैंगन के व्यावसायिक इस्तेमाल को मंजूरी देने से पहले जीईएसी सुरक्षा और पर्यावरण संबंधी मामलों का आकलन करेगी।'
कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय और ऑल इंडिया क्रॉप बायोटेक्नोलॉजी एसोसिएशन की ओर से कराए गए एक दिन के वर्कशॉप में शांताराम ने बताया कि बीज बेचने वाली कंपनी महाराष्ट्र हाइब्रिड सीड कंपनी (मेहेको)और कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, धारवाड़, तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय ने बीटी बैंगन का खेतों और जानवरों पर परीक्षण का काम पूरा कर लिया है। अब उन्हें इसके व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए जीईएसी की अनुमति मिलने का इंतजार है।
कीटों के खिलाफ बीटी बैंगन के प्रभाव को जानने के लिए मेहेको ने करीब 11 जगहों पर इसका परीक्षण किया है। इस मामले में मंजूरी देने से पहले जीईएसी एक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट का अध्ययन करेगी।
अगर इसके इस्तेमाल को मंजूरी मिल जाती है तो बीटी बैंगन देश का पहला जीन प्रसंस्करित खाद्य उत्पाद बन जाएगा। इसके साथ ही यह दुनिया का पहला जीन प्रसंस्करित बैंगन होगा जिसका उत्पादन व्यावसायिक स्तर पर किया जाएगा। फिलहाल भारत में सिर्फ बीटी कॉटन ही इकलौती बायोटक फसल है। (बीएस हिन्दी)
15 अक्तूबर 2009
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