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16 अक्तूबर 2009

दीवाली उपहार में चांदी के नोट की खनकार

मुंबई October 15, 2009
धनतेरस के मौके पर लोगों ने सोने-चांदी से बनी वस्तुओं की जमकर खरीदारी की।
सोने की रिकॉर्ड कीमत के बावजूद इस बार कॉर्पोरेट हाउसों ने गिफ्ट के लिए दिए जाने वाले सोने-चांदी के सिक्कों की जमकर खरीदारी की। इस बार एक और दो ग्राम के सोने के सिक्कों की मांग ज्यादा रही है। जबकि चांदी में 50 से 100 ग्राम के सिक्कों की जमकर खरीदारी कारोबारियों ने की।
परंपरागत सिक्कों के अलावा इस दीवाली में चांदी के नोटों की भी खूब मांग हैं जिसको देखते हुए कारोबारी मानते हैं कि आने वाले समय में सिक्कों की जगह लोगों नोट गिफ्ट में देना शुरू कर देंगे। कार्पोरेट हाउसों में दीवाली के अवसर पर एक दूसरे को उपहार देने की परंपरा रही है।
सोना और चांदी उपहार के लिए सबसे अच्छे विकल्प रहे हैं। इस दीवाली में भी कार्पोरेट हाउसों की तरफ से सोने और चांदी के सिक्कों की खूब खरीदारी की गई, लेकिन इस बार लोगों की पसंद पिछली बार से अलग थी।
आरएसबीएल के उपाध्यक्ष समीर शाह कहते हैं कि सोने के सिक्कों की मांग तो कार्पोरेट हाउसों से खूब की गई है लेकिन पहले लोग 8 ग्राम या 10 ग्राम के सोने के सिक्के खरीदते थे लेकिन सोने की कीमतों में लगी आग की वजह से इस बार एक ग्राम और दो ग्राम के सोने के सिक्कों की ही ज्यादा मांग रही है।
समीर कहते हैं कि पिछले साल की अपेक्षा इस बार कुल सोने के सिक्कों के बिक्री में वजन के हिसाब से देखा जाए तो 20 फीसदी की कमी है लेकिन सिक्कों की सख्या के लिहाज से देखा जाए तो बिक्री पिछले साल से कई गुना ज्यादा हो जाएगी। इसकी वजह है कि पिछली दीवाली में सोना 12500 रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास था जबकि इस बार 16000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर चल रहा है।
महंगाई की वजह से कार्पोरेट हाउसों और दूसरे संस्थानों ने कम वजन के सिक्कों को ज्यादा पसंद किया है। सोने से ज्यादा इस बार चांदी ने चांदी कटी है। सिल्वर इम्पोरिया के प्रबंध निदेशक कांति भाई कहते हैं कि हर साल 10-20 ग्राम के सिक्कों की ज्यादा मांग रहती थी लेकिन इस बार 50 और 100 ग्राम के चांदी के सिक्कों की मांग ज्यादा रही है।
कुल बिक्री में इन सिक्कों की हिस्सेदारी 80 फीसदी है। जबकि 10 ग्राम के सिक्कों की बिक्री इस बार लगभग ठप सी है। कांति भाई के अनुसार दरअसल इन सिक्कों की जगह लोग नोट खरीदना ज्यादा पसंद कर रहे है। बाजार में चांदी के नोट लोगों के आकर्षण का केंद्र बने रहे और यही वजह है कि धनतेरस के दिन बाजार में चांदी की नोट खत्म ही हो गए।
पहली बार चांदी की नोट बाजार में उतारने वाले कारोबारियों के अनुसार लोगों को कुछ नया खरीदने की आदत होती है इस बात को ध्यान में रखकर चांदी के नोट बाजार में उतारे गए थे। एक हजार रुपये के नोट की तरह चांदी के नोट बनाई गई है। ऊपर बाकायदा एक हजार रुपये लिखा है। एक ओर गांधी जी की फोटो तो दूसरी ओर गणेश लक्ष्मी की तस्वीर बनाई गई है।
नोट में लिखा गया है कि मैं धारक को शुध्द चांदी अदा करने का वचन देता हूं। इन नोटों का इतना ज्यादा आकर्षण रहा कि बाजार में इनकी कमी पड़ गई। कांति भाई के अनुसार बाजार में जितने नोट उतारे गए थे अगर उतनी ही नोटें और होते तो भी कम पड़ जाते, क्योंकि ये सस्ते पड़ रहे हैं और एक नया अनुभव भी देखने को मिल रहा है।
एक हजार रुपये की चांदी के नोट सिर्फ 380 रुपये में खरीदे जा सकते है। चांदी के नोट के प्रति लोगों की चाहत को देखते हुए कारोबारी मानते हैं कि हल्के सिक्कों की जगह लोग गिफ्ट में चांदी के नोट ही देना पसंद करने लगेंगे। कारोबारियों का उत्साह भी इस नए प्रयोग से बढ़ा है। (बीएस हिन्दी)

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