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16 अक्टूबर 2009

किसानों पर भारी पड़ा खाद्य तेलों का आयात

खाद्य तेलों का रिकार्ड आयात तिलहन किसानों पर भारी पड़ सकता है। चालू तेल वर्ष (नवंबर 2008 से सितंबर 2009) के दौरान भारत में 79।75 लाख टन रिकार्ड खाद्य तेलों का आयात हो चुका है। पिछले साल की समान अवधि के आयात के मुकाबले यह 57 फीसदी ज्यादा है। आयात में हुई भारी बढ़ोतरी से घरेलू खाद्य तेलों की कीमतों में करीब 19 फीसदी और आयातित खाद्य तेलों में लगभग 15 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। घरेलू मंडियों में खरीफ तिलहनों सोयाबीन, मूंगफली और कपास (बिनौला) की आवक शुरू हो चुकी है। त्योहारी सीजन होने के बावजूद खाद्य तेलों में उठाव न होने से तिलहनों की घटती कीमतें किसानों के लिए परेशानी पैदा कर रही हैं। सॉल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के आंकड़ों के मुताबिक सितंबर में देश में खाद्य तेलों का रिकार्ड 905,192 लाख टन का आयात हुआ है जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 39 फीसदी ज्यादा है। चालू तेल वर्ष के दौरान भारत में 79.75 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हो चुका है जो पिछले साल की समान अवधि के 54.29 लाख टन से काफी ज्यादा है। दिल्ली वेजिटेबल ऑयल ट्रेडर्स एसोसिएशन के सचिव हेमंत गुप्ता ने बताया कि आयात में हुई भारी बढ़ोतरी के कारण घरेलू बाजार में खाद्य तेलों के दाम काफी गिरे हैं। घरेलू बाजार में आरबीडी पामोलीन के दाम मई के भाव 431 रुपये से घटकर 346 रुपये (प्रति 10 किलो), क्रूड पाम तेल के भाव 386 रुपये से घटकर 312 रुपये, रिफाइंड सोया तेल के दाम 472 रुपये से घटकर 420 रुपये और मूंगफली तेल के दाम 680 रुपये से घटकर 600 रुपये रह गये हैं।आयातित खाद्य तेलों में आरबीडी पामोलीन के भाव (भारतीय बंदरगाह पर पहुंच) 12 अक्टूबर को घटकर 720 डॉलर और क्रूड पाम तेल के भाव 685 डॉलर प्रति टन रह गये जबकि मई में आरबीडी पामोलीन के दाम 851 डॉलर और क्रूड पाम तेल के दाम 794 डॉलर प्रति टन थे।सेंट्रल आर्गेनाजेशन फार ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड के कार्यकारी निदेशक डी एन पाठक ने बताया कि खपत के मुकाबले आयात ज्यादा होने से खाद्य तेलों की उपलब्धता ज्यादा है। इसीलिए त्योहारी सीजन के बावजूद खाद्य तेलों में उठाव कमजोर है। हमारी सालाना खपत करीब 145-150 लाख टन की है जबकि जबकि मई में आरबीडी पामोलीन के दाम 851 डॉलर और क्रूड पाम तेल के दाम 794 डॉलर प्रति टन थे। सेंट्रल आर्गेनाजेशन फार ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड के कार्यकारी निदेशक डी एन पाठक ने बताया कि खपत के मुकाबले आयात ज्यादा होने से खाद्य तेलों की उपलब्धता ज्यादा है। इसीलिए त्योहारी सीजन के बावजूद खाद्य तेलों में उठाव कमजोर है। हमारी सालाना खपत करीब 145-150 लाख टन की है जबकि 2008-09 में घरेलू उपलब्धता करीब 82 लाख टन की थी।एसईए के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने बताया कि भारत में सबसे ज्यादा क्रूड पाम तेल का आयात हो रहा है। चालू तेल वर्ष के दौरान खाद्य तेलों का कुल आयात बढ़कर 85 लाख टन होने की संभावना है। इसका प्रभाव खरीफ तिलहन के अलावा रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की कीमतों पर भी पड़ने की आशंका है। (बिज़नस भास्कर..आर अस राणा)

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