नई दिल्ली July 10, 2009
सूखा मापने के मौसम विभाग के पैमाने को देखें तो धान की खेती के लिहाज से देश के तीन प्रमुख राज्य भयंकर सूखे की चपेट में आ चुके हैं।
सामान्य सूखे के शिकार तो कई राज्य हो चुके हैं। यह स्थिति 8 जुलाई तक हुई बारिश के बाद की है। ऐसे में धान की फसल में पिछले साल के मुकाबले गिरावट हो जाये तो कोई आश्चर्य नहीं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिकतर छोटे किसान बारिश के अभाव में अब तक धान बिजाई का काम शुरू नहीं कर पाये हैं। उत्तर प्रदेश में गन्ने की उपज में 20 फीसदी तक की गिरावट का अंदेशा है। मौसम विभाग के मुताबिक सामान्य से 50 फीसदी भी बारिश न हो, तो भयंकर सूखा माना जाता है, सामान्य से 26-50 फीसदी तक कम बारिश को सामान्य सूखे की श्रेणी में रखा जायेगा और सामान्य से 25 फीसदी तक कम बारिश को हल्का सूखा माना जायेगा।
8 जुलाई तक हुई बारिश के हिसाब से पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश व दिल्ली भयंकर सूखे वाले इलाकों में शामिल हो चुके हैं क्योंकि इन इलाकों में सामान्य से 50 फीसदी से भी कम बारिश दर्ज की गयी है।
पूर्वी उत्तर प्रदेश में 8 जुलाई तक सामान्य से 47 फीसदी तक कम बारिश हुई है। सामान्य सूखे की चपेट में तो पूरा राजस्थान, बिहार, तेलंगाना, सौराष्ट्र, कच्छ, पश्चिमी मध्य प्रदेश, जम्मू कश्मीर हैं।
गाजियाबाद के किसान राजबीर सिंह कहते हैं, 'उन्हें 16 बीघों में धान की बुवाई करनी है,लेकिन बारिश के इंतजार में बुवाई का काम अबतक शुरू नहीं हो पाया है। बिजली के भरोसे भी कोई काम नहीं किया जा सकता है। 3-4 घंटे के लिए बिजली आती है।'
हालांकि पंजाब में 97 फीसदी से अधिक खेती योग्य जमीन के लिए सिंचाई की सुविधा है। लेकिन धान बुवाई के बाद कम से कम 15-20 दिनों तक खेतों में पानी की सख्त जरूरत होती है। लेकिन बारिश का हाल ऐसा ही रहा तो सिंचाई के भरोसे वहां के किसान इतना पानी कहां से लायेंगे।
भयंकर सूखा सामान्य सूखापंजाब -93 बिहार -33हरियाणा -82 पूर्वी राजस्थान -47हिमाचल प्रदेश -93 सौराष्ट्र कच्छ -47प.उत्तर प्रदेश -88 तेलंगाना -46 जम्मू-कश्मीर -38 प. मध्य प्रदेश -34स्रोत: भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (BS Hindi)
11 जुलाई 2009
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