22 जुलाई 2009
डॉलर कमजोर होने से विदेश में महंगा हो सकता है चावल
अमेरिकी डॉलर में नरमी से आने वाले दिनों में चावल के भाव में तेजी आ सकती है। अंतरराष्ट्रीय चावल शोध संस्थान (आईआरआर आई) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पिछले साल ऐसे हालात होने से ही वैश्विक बाजार में चावल का भाव करीब 1000 डॉलर प्रति टन से ऊपर निकल गया था। आईआरआरआई की द्विमासिक पत्रिका राइस टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक डॉलर कमजोर होने से चावल के दाम बढ़ने की संभावना है। हालांकि भाव बढ़ने के बावजूद सस्ते चावल निर्यातकों की दिक्कतें बरकरार रहने की उम्मीद है। वैश्विक स्तर पर जारी आर्थिक सुस्ती की वजह से आयातकों के पास धन की कमी पहले से ही आड़े आ रही है। लिहाजा ऐसे में आयातक चावल का स्टॉक बनाने से परहेज करते रहेंगे। मौजूदा समय में दुनिया के कई देशों में चावल का स्टॉक लगातार घट रहा है। हालांकि भारत से यदि आने वाले दिनों में चावल का निर्यात बढ़ता है तो इससे सप्लाई में बढ़ोतरी हो सकती है। लेकिन बाजार में आवक और कीमतों के बीच वैश्विक आर्थिक गतिविधियां और अमेरिकी डॉलर की भूमिका महत्वपूर्ण रह सकती हैं। फिलीपींस ने 75 हजार टन चावल खरीदने के लिए टेंडर आमंत्रित किया है। सूत्रों के मुताबिक वैश्विक बाजार में भाव बढ़ने से पहले जरूरत के मुताबिक चावल की खरीद करने की कोशिश की जा रही है। आमतौर पर यहां नेशनल फूड अथॉरिटी हर साल 23 लाख टन चावल का आयात करता है। इस साल के लिए 24 लाख टन चावल का आयात कोटा है। अथॉरिटी इस साल वियतनाम से 15 लाख टन चावल खरीदने का करार कर चुका है। प्राइवेट आयातक करीब दो लाख टन चावल आयात के करार कर चुके हैं। इस साल अब तक 17 लाख टन चावल आयात के लिए करार हो चुके हैं। (Businss Bhaskar)
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