बंगलुरु- कर्नाटक में, खासतौर से राज्य के दक्षिणी भाग की चीनी मिलों ने समय से पहले गन्ने की पेराई शुरू कर दी है। उन्होंने यह कदम इसलिए उठाया है ताकि इस कच्चे माल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। तीन साल के चीनी के सीजन के लिहाज से देखें तो राज्य में गन्ना उत्पादन में कमी आई है। इसके अलावा गुड़ इकाइयों की तरफ से भी गन्ने की मांग में बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में चीनी मिलों का मानना है कि गन्ने की आपूर्ति सुलझाने का एक ही तरीका है पेराई जल्दी शुरू की जाए। राज्य में कुल उत्पादित गन्ने का करीब 25 से 30 फीसदी इस्तेमाल गुड़ उत्पादक करते हैं। गन्ने की पेराई का काम जुलाई के आखिरी हफ्ते से शुरू हो गया है। हालांकि राज्य की कुछ चीनी मिलों ने फसल तैयार होते ही जून में गन्ने की पेराई का काम शुरू कर दिया था। सितंबर में समाप्त हो चीनी सीजन में कर्नाटक में करीब 160 लाख टन गन्ने की पेराई का अनुमान है, जबकि इसके मुकाबले 2007-08 के चीनी सीजन में 265 लाख टन गन्ने की पेराई हुई थी। सूत्रों ने बताया, 'गन्ने की उपलब्धता एक बड़ा मसला है। चीनी मिलों और गुड़ उत्पादकों को यह बात अच्छी तरह से पता है कि चीनी और गुड़ की रीटेल कीमतों में 35 से 40 फीसदी का इजाफा हुआ है।
उद्योग के जानकारों का मानना है कि इस बार त्योहारों की शुरुआत जल्द होने से चीनी और गुड़ की मांग में जल्द ही जबरदस्त इजाफा देखने को मिल सकता है। इस समय चीनी की खुदरा कीमतों की तुलना में गुड़ की खुदरा कीमत करीब 15 से 20 फीसदी ज्यादा है। बढ़ी कीमतों के कारण चीनी मिलों और गुड़ उत्पादकों की नजरें ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने पर लगी हैं, लेकिन उद्योग के जानकारों ने रिकवरी रेट में कमी को लेकर चीनी मिलों को सचेत भी किया है। आमतौर पर दक्षिण कर्नाटक के चीनी मिलों का औसत रिकवरी रेट 9.5 फीसदी और उत्तरी कर्नाटक की मिलों का औसत रिकवरी रेट 10.5 फीसदी है, लेकिन डर इस बात का है कि चीनी की पेराई पहले होने से रिकवरी रेट 1.5 से 2 फीसदी घट सकती है। 2008-09 के चीनी कारोबारी साल में देश में करीब 1.40 से 1.60 करोड़ टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया गया है। उत्पादन में साल-दर-साल 40 फीसदी से ज्यादा की कमी के आसार हैं। (ET Hindi)
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