कोच्चि July 21, 2009
मौजूदा वर्ष में प्राकृतिक रबर के वैश्विक उत्पादन में 2.3 फीसदी तक की कमी आ सकती है।
ऐसा कहना है इंटरनैशनल रबर स्टडी ग्रुप का। इस एजेंसी के अनुमानों के मुताबिक कुल वैश्विक उत्पादन वर्ष 2008 के उत्पादन के मुताबिक 98,76,000 के मुकाबले 96,50,000 टन है। पिछले साल कुल उत्पादन में 1.8 फीसदी की मामूली बढ़ोतरी हुई है।
इसके साथ ही इसके उत्पादन खपत में 5.1 फीसदी तक की कमी आई है और यह मौजूदा वर्ष में 92,00,000 टन है। उत्पादन और खपत में कमी की मुख्य वजह वैश्विक आर्थिक संकट है जिसकी वजह से रबर से जुड़े उद्योग मसलन टायर उत्पादन के लिए काफी मुश्किल हो रही है। वर्ष 2008 में खपत के सेगमेंट में 97,26,000 टन के साथ 1.6 फीसदी की नकारात्मक वृद्धि हो रही है।
यह वर्ष 2007 में 98,82,000 टन थी। वर्ष 2008 में चीन की खपत में 0.4 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई और यह 25,60,000 टन हो गया और अमेरिका में 10,41,000 टन रहा। भारत में उपभोग पर कोई बुरा असर नहीं पड़ा और यहां 3.5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।
वर्ष 2008 में देश में 881,000 टन का उपभोग किया गया जबकि वर्ष 2007 में 851,000 टन का उपभोग किया गया। जापान के उपभोग में 1 फीसदी की कमी दर्ज की गई और यह 878,000 टन रहा। जबकि कोरिया में पिछले साल 5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और यह 358,000 टन हो गया।
उत्पादन और खपत पर आईआरएसजी के अध्ययन के मुताबिक कुल वैश्विक उत्पादन वर्ष 2008 के खपत के मुकाबले 150,000 टन हो गया। इसी तरह से वर्ष 2007 में भी हुआ जब खपत, उत्पादन के मुकाबले 176,000 टन बढ़ गई।
उत्पादन के मोर्चे पर भारत, थाईलैंड, वियतनाम और श्रीलंका ने बढ़ोतरी दर्ज की जबकि चीन, इंडोनेशिया और मलेशिया के उत्पादन में तेजी से गिरावट हुई। इसी बीच कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से भी वर्ष 2008 में सिंथेटिक रबर के उत्पादन पर असर पड़ा।
पिछले साल कुल उत्पादन 1.28 करोड़ टन रहा था और इसमें 4.6 फीसदी तक की गिरावट आई थी। जबकि वर्ष 2007 में यह 1.34 करोड़ टन रहा था। (BS Hindi)
22 जुलाई 2009
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