नई दिल्ली : ऊंची चल रही अंतरराष्ट्रीय कीमतों के चलते कम हो रहे चीनी आयात को बढ़ाने के लिए केंद्र सार्वजनिक कंपनियों को सब्सिडी देने जैसे कदम उठा सकता है। केंद सरकार सार्वजनिक कंपनियों को रिफाइंड चीनी के आयात की मंजूरी को 1 अक्टूबर तक बढ़ाने का कदम भी जल्द उठा सकती है। ऊंची अंतरराष्ट्रीय कीमतों की वजह से घरेलू कंपनियां चीनी का आयात भी नहीं कर पा रही हैं। दीवाली के दौरान हर साल चीनी की मांग में इजाफा होता है। पिछले कुछ वक्त से देश में चीनी की कीमतें काफी ऊंचे स्तर पर चल रही हैं। इस समय चीनी की खुदरा कीमत 28 रुपए प्रति किलो और ब्रांडेड चीनी की खुदरा कीमत 35-36 रुपए प्रति किलो पर है। ऐसे में दीवाली के दौरान चीनी की कीमतों में और तेजी आने की आशंका जताई जा रही है।
कृषि मंत्रालय में डिप्टी डायरेक्टर जनरल मनोज पांडेय ने ईटी को बताया, 'इस वक्त देश में चीनी की कोई कमी नहीं है। दीवाली के दौरान कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए सरकार सभी जरूरी कदम उठाएगी। पर्याप्त सप्लाई के लिहाज से आयात को बढ़ाने के लिए सब्सिडी देने जैसे उपाय किए जा सकते हैं।' इस सीजन के खत्म होने पर 1 अक्टूबर को देश में चीनी के 40 लाख टन के ओपनिंग स्टॉक के रहने की अनुमान जताया जा रहा है। देश की एक प्रमुख शुगर कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, 'चीनी के स्टॉक की जो स्थिति है उससे चीनी कीमतों में तेजी बनी रहेगी। 15 अक्टूबर से शुरू होने वाली गन्ने की पेराई में अगर किसी वजह से देरी हुई तो स्टॉक की कमी हो सकती है।' 1 जुलाई को देश में चीनी का भंडार 76 लाख टन पर रहा, जो कि पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 55 फीसदी कम है। चीनी की कमी को देखते हुए केंद्र ने सार्वजनिक कंपनियों को 10 लाख टन रिफाइंड चीनी के शुल्क मुक्त आयात की मंजूरी दी थी। दूसरी ओर भारत से बढ़ी मांग के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतें इस सीजन की शुरुआत के नौ सेंट प्रति पौंड के स्तर से बढ़कर मौजूदा 18.4 सेंट पर पहुंच गई हैं। इस वजह से एमएमटीसी और एसटीसी जैसी सरकारी कंपनियां आयात नहीं कर पा रही हैं। नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज के प्रबंध निदेशक विनय कुमार के मुताबिक, 'चीनी का भंडार हालांकि कम है लेकिन चिंता की स्थिति नहीं है।' देश में साल 2008-09 के सीजन (अक्टूबर से सितंबर) के लिए चीनी उत्पादन के घटकर 1.5 करोड़ टन पर रहने की आशंका जताई जा रही है, जबकि इससे पिछले साल चीनी का उत्पादन 2.6 करोड़ टन रहा था। इसके उलट देश में चीनी की कुल मांग 2.25 करोड़ टन है। इस तरह से हर महीने देश में तकरीबन 19-20 लाख टन चीनी की खपत होती है। (ET Hindi)
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