July 28, 2009
अक्सर अच्छी फसल होने की संभावना को मॉनसून से जोड़ दिया जाता है।
दूसरी ओर सामान्य से कम बारिश को उत्पादन में कमी के संकेत के तौर पर देखा जाता है। लेकिन, पिछले रिकॉर्ड पर नजर दौड़ाएं तो यह संबंध बिल्कुल सीधा नहीं लगता। इसके बावजूद मॉनसूनी बारिश और फसल के उत्पादन के बीच सह संबंध है।
मॉनसून उन कई कारकों में से एक है जो कृषि उत्पादन को तय करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अतिरिक्त, मॉनसून के मामले में, बारिश का पैटर्न फसलों के उत्पादन के नजरिये से ज्यादा मायने रखता है, न कि कुल बारिश।
संलग्न तालिका, जो विभिन्न वर्षों में मॉनसूनी बारिश और खाद्यान्न के उत्पादन को प्रदर्शित करती है, से स्पष्ट संकेत मिलता है कि कम बारिश होने पर भी फसल की अपेक्षाकृत अधिक पैदावार होने की संभावना बनती है। इसकी ठीक विपरीत परिस्थिति होना भी उतना ही संभव है।
वर्तमान दशक में, मॉनसूनी बारिश और खाद्यान्न के उत्पादन में भारी उतार-चढ़ाव देखे गए हैं। लेकिन अधिकांश मामलों में बारिश और खाद्यान्न उत्पादन के बीच कोई तारतम्य नहीं रहा है। साल 2000 और 2001 में मॉनसूनी बारिश सामान्य की तुलना में एक जैसी 92 प्रतिशत रही।
लेकिन एक तरफ साल 2000 में जहां खाद्यान्न उत्पादन मुश्किल से 1,968 लाख टन रहा वहीं साल 2001 में यह 2,129 लाख टन रहा। साल 2001 का खाद्यान्न उत्पादन साल 2000 की तुलना में 160 लाख टन या 8 प्रतिशत अधिक रहा।
साल 2005 में सामान्य की तुलना में 99 प्रतिशत बारिश हुई जो साल 2001 के 92 प्रतिशत की तुलना में कहीं बेहतर थी। लेकिन साल 2005 का खाद्यान्न उत्पादन (2086 लाख टन) साल 2001 (2129 लाख टन) की तुलना में कम रहा।
अब साल 2003 और 2006 का उदाहरण ही देखिए। साल 2003 में बारिश सामान्य की तुलना में 102 प्रतिशत हुई थी और खाद्यान्न उत्पादन 2131 लाख टन रहा। साल 2006 में दो प्रतिशत कम बारिश हुई लेकिन खाद्यान्न उत्पादन में लगभग 40 लाख टन की बढ़ोतरी हुई थी और यह 2173 लाख टन रहा।
पिछले दो सालों के चलन को देखें तो मॉनसूनी बारिश और फसलों के उत्पादन के बीच सीधा सह-संबंध नजर नहीं आता। साल 2007 में सामान्य की तुलना में 106 प्रतिशत बारिश हुई थी। 2308 लाख टन के खाद्यान्न उत्पादन ने भी इस साल एक नया रिकॉर्ड बनाया।
इन वर्षों के दौरान साल 2008 में वर्षा के स्तर में 8 फीसदी की गिरावट देखी गई - इसके परिणामस्वरूप 2008 में मॉनसून सामान्य स्तर का 98 फीसदी था। हालांकि खाद्यान्न का उत्पादन नई ऊंचाई 2339 लाख टन पर पहुंच गया। ( 21 जुलाई को कृषि मंत्रालय द्वारा जारी साल 2008-09 के चौथे अग्रिम अनुमान के मुताबिक)
वास्तव में इस धारणा के बावजूद कि जुलाई में होने वाली बारिश फसल के उत्पादन के लिए महत्त्वपूर्ण होती है, इसमें पिछले साल भी कमी देखी गई थी। जुलाई 2008 में बारिश में 17 फीसदी की कमी से कृषि उत्पादन की बाबत चिंता जताई गई थी। लेकिन 2008-09 का उत्पादन अब तक के सर्वोच्च स्तर पर रहा था।
इस विश्लेषण से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि सामान्य से कम मॉनसूनी बारिश के बाद भी फसलों में अच्छी बढ़त देखी जा सकती है, अगर अन्य परिस्थितियां अनुकूल हों। वर्षा की मात्रा और वितरण के अलावा जलवायु के दूसरे तत्त्व मसलन तापमान और आर्द्रता भी महत्त्वपूर्ण होते हैं।
जलवायु के तत्त्वों के अलावा दूसरी चीजें भी समान रूप से महत्त्वपूर्ण होती हैं मसलन बीज, खाद, सिंचाई और पौधों की रक्षा करने वाले रसायन, कृषिशास्त्र व फसल प्रबंधन से जुड़ी प्रथा, तकनीक और बीमारी व कीटनाशक के प्रभाव आदि। ऐसे में सिर्फ बारिश के आधार पर फसलों के उत्पादन के अनुमान पर फैसला सामने रखना गलत हो सकता है। (BS Hindi)
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