मुंबई : सरकार एक तरफ दावा कर रही है कि आवश्यक कमोडिटी की कीमतों को रोकने के लिए वह कई कदम उठा रही है, लेकिन दूसरी तरफ हालात हैं कस्टम विभाग ने खाद्य पदार्थों के कंसाइनमेंट को पोर्ट पर रोक रखा है। कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट पर कस्टम विभाग खाद्य तेल, दाल, चीनी और जल्द खराब होने वाले कई पदार्थों के सैंपल को हरी झंडी देने में देर कर रहा है, इससे वहां पर इनके कंसाइनमेंट अटके पड़े हैं। इस वजह से इनकी सप्लाई पर असर पड़ रहा है। सप्लाई कम होने के कारण पहले ही चीनी और दालों की कीमतों में 30 से 50 फीसदी के बीच उछाल आ चुका है और कस्टम विभाग की हरी झंडी मिलने में देरी का मतलब है कि कीमतों पर और दबाव बढ़ेगा।
इस बीच सरकार ने कहा है कि दालों और चीनी की कीमतों में सट्टेबाजी को रोकने के लिए वह प्रशासनिक कदम उठाएगी। वित्त सचिव अशोक चावला ने बताया, 'दालों और चीनी की कीमतों में तेज बढ़ोतरी हो रही है। केंद्र इसे रोकने के लिए राज्य सरकार के जरिए भंडारण पर नियंत्रण जैसे कदम उठा रहा है।' आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक जनवरी में चीनी की खुदरा कीमतें 18-21 रुपए चल रही थीं, लेकिन जुलाई में खुदरा कीमतें 25-29 रुपए के बीच पहुंच गई हैं। दालों की कीमत में इसी तरह तेज बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। नाम न छापने की शर्त पर कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के एक अधिकारी ने बताया कि करीब 17,300 टन चीनी और 1.15 लाख टन दाल पोर्ट पर पड़ी हुई है। हालांकि दालों के कंसाइनमेंट के एक हिस्से को हरी झंडी मिल गई है, लेकिन इसकी ठीक मात्रा के बारे में जानकारी नहीं मिल सकी। कोलकाता के एक ऑयल प्रोसेसर ने बताया कि हरी झंडी न मिलने के कारण पोर्ट पर 80,000 टन खाद्य तेल, 60,000 टन तूर, उड़द और पीली मटर जैसी दालें और 40,000 टन चीनी और सेब पड़े हुए हैं। आयातक और कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के अधिकारियों का कहना है कि राज्य की सेंट्रल फूड लैबोरेटरी (सीएफएल) से टेस्ट रिपोर्ट न मिलने के कारण शिपमेंट अटका हुआ है। इन कमोडिटीज की टेस्ट रिपोर्ट के लिए सैंपल सीएफएल को भेजा गया था। लैब पहले स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन थी, अब इसे फूड सेफ्टी एंड स्टैंर्डड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) के तहत कर दिया गया है। इससे कर्मचारियों में रोष है। एफएसएसएआई के चीफ एग्जिक्यूटिव वी एन गौड़ का कहना है कि प्रशासनिक समस्याओं और स्थानीय स्टाफ के साथ 'मतभेद' होने के कारण सैंपल के परिणाम आने में देरी हो रही है। उन्होंने बताया कि समस्या को हल करने के लिए एफएसएसएआई ने कई कदम उठाए हैं। गौड़ ने बताया कि करीब 50 फीसदी सैंपल क्लियर हो गए हैं और बचे हुआ सप्ताह के अंत तक क्लियर हो जाएंगे। (ET Hindi)
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