अहमदाबाद July 17, 2009
वर्ष 2007-08 में रिकॉर्ड स्तर पर जीरा निर्यात करने के बाद गुजरात ने वर्ष 2008-09 के सीजन के दौरान 2-3 लाख बोरी का निर्यात किया है।
यह वर्ष 2007-08 के निर्यात के मुकाबले 8 लाख बोरी कम है। हालांकि इस साल के अंत तक अनुमान है कि जीरे का निर्यात 5 लाख बोरी से ज्यादा हो सकता है। जीरे की आवक फरवरी के महीने में शुरू होती है और नई फसल का कारोबार अक्टूबर-नवंबर के महीने में खत्म हो जाता है।
राजकोट के प्रमुख जीरा निर्यातक बी के पटेल का कहना है, 'वर्ष 2007-08 को छोड़कर हमने कभी भी 2 लाख बोरी से ज्यादा का निर्यात नहीं किया है। पिछला वित्तीय वर्ष अपवाद था क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस जिंस की कमी थी। इस कैलेंडर वर्ष के अंत तक कारोबारी समुदाय अतिरिक्त 2-3 लाख बोरी का निर्यात कर सकते हैं।'
मंदी के बावजूद ब्रिटेन, अमेरिका, जापान और खाड़ी देशों के खरीदार अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए जिंस की खरीदारी कर रहे हैं। ऊंझा स्थित बेहद मशहूर एक्पोर्ट-इंपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक मिनेष पटेल का कहना है, 'अब तक कई देशों में 2-2.5 लाख बोरी जीरे का निर्यात किया गया है।
अभी फिलहाल धीरे-धीरे खरीदारी हो रही है ऐसे में हम उम्मीद करते हैं कि निर्यात इस साल के अंत तक बढ़कर 5-7 लाख बोरी हो जाएगा।' वर्ष 2007-08 के 8 लाख बोरी के निर्यात के मुकाबले 5 लाख बोरी के निर्यात का अनुमान बेहद कम है। औसत जीरा निर्यात के मुकाबले निर्यात में खासतौर पर सुधार दिखाई देगा।
सीजन की शुरुआत के मौसम में विदेशी खिलाड़ियों द्वारा जीरे की खरीदारी थोड़ी धीमी पड़ गई थी क्योंकि दुनियाभर में मंदी का असर छाया हुआ था। ऐसे वक्त पर जीरे की कीमत 2,200 रुपये प्रति 20 किलोग्राम तक चली गई थी। वर्ष 2008-09 में जीरे के रकबे में बढ़ोतरी के बावजूद भी देश में 23 से 25 लाख बोरी के उत्पादन का अनुमान लगाया गया है।
वैसे मौसम के अनुकूल न होने की वजह से भी जीरा की पैदावार प्रभावित हुई। बावजूद इसके जीरे का उत्पादन वर्ष 2007-08 में 27-28 लाख बोरी था। देश के कुल जीरा उत्पादन में गुजरात का योगदान लगभग 65 फीसदी है और देश के कुल जीरे का निर्यात गुजरात से ही होता है खासतौर पर राज्य के उत्तरी इलाके ऊंझा से। (BS Hindi)
17 जुलाई 2009
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