नई दिल्ली July 29, 2009
चीनी क्षेत्र की हालत में सुधार को देखते हुए विदेशी संस्थागत निवेशकों ने शीर्ष चीनी कंपनियों बजाज हिन्दुस्तान, बलरामपुर चीनी और रेणुका शुगर्स में अपनी हिस्सेदारी में बढ़ोतरी की है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह रुझान आगे भी जारी रह सकता है, क्योंकि मौजूदा और उसके बाद की तिमाहियों में इन कंपनियों का प्रदर्शन लगातार बेहतर रहने की संभावना है।
इस बाबत निवेश सलाहकार एस पी तुलसीयान कहते हैं 'ये सभी कंपनियां जबरदस्त मुनाफा कमा रही है जिसे देखते हुए चीनी क्षेत्र में निवेश की संभावना सामान्य से काफी अधिक है, साथ ही इन कंपनियों के प्रदर्शन में आगे भी सुधार होने की संभावना है।'
उत्पादन के पिछले तीन सालों के सबसे निचले स्तर पर पहुंचने के बाद चीनी की कीमतों में काफी इजाफा हुआ है, जिससे सभी चीनी कंपनियों के मुनाफे में खासी बढ़ोतरी हुई है। देश की सबसे बड़ी चीनी उत्पादक कंपनी बजाज हिन्दुस्तान को जून की तिमाही में 60.80 करोड रुपये मुनाफा हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसे 35.41 करोड रुपये का नुकसान उठाना पडा था।
इसी तरह, बलरामपुर चीनी का शुध्द मुनाफा 294 फीसदी की उछाल के साथ 66.29 करोड रुपये रहा। दिलचस्प बात है कि शुध्द बिक्री में कमी के बावजूद कंपनियों ने मुनाफा अर्जित किया हैं। पिछले साल अक्टूबर से सत्र की शुरुआत के साथ ही बाजार में चीनी की कीमतों में करीब 50 फीसदी की तेजी आई है और इस समय इसकी कीमत प्रति क्विंटल 2,375-2,400 रुपये है।
ऐसा मौजूदा सत्र (अक्टूबर-सितंबर) में चीनी के घरेलू उत्पादन में 44 फीसदी की कमी के कारण हुआ है जबकि घरेलू खपत 22 मिलियन टन है। मांग और आपूर्ति में इस बड़े अंतर को पाटने के लिए चीनी मिल मालिक बिना किसी शुल्क के कच्ची चीनी का आयात कर रहे हैं।
मौजूदा सत्र में चीनी का आयात अब तक के सबसे ऊंचे स्तर यानी 25 लाख टन को छू लेगा। दूसरी तरफ मानसून के कमजोर रहने की वजह से गन्ने की फसल पर इसका प्रतिकूल असर पड़ सकता है जिससे इस साल अक्टूबर से शुरू होने वाले सत्र में चीनी का उत्पादन 18-19 मिलियन टन के आरंभिक अनुमानों से कम हो सकता है। (BS Hindi)
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