नई दिल्ली: भाव में तेजी क्या आई, भारतीय घरों में पीढि़यों से जमा हो रहा सोना भी बाजारों की नजर हो गया। यह सामाजिक जीवन पर आर्थिक जगत के बढ़ते असर की एक बानगी है। सोने की कीमतों में आई तेजी ने परिवारों में अपने पास मौजूद सोने को बेचकर पैसा बनाने का ट्रेंड पैदा किया है और लोग अपने परिवार के पुराने के गहने बेचकर जमकर मुनाफा कमा रहे हैं। लंबे वक्त से सर्राफा कारोबार से जुड़े दरीबा बाजार के रतनचंद ज्वालानाथ ज्वैलर्स के तरुण गुप्ता बताते हैं, 'ऐसा पहली बार हो रहा है जब लोग अपने पास मौजूद गहनों को बेचकर कैश ले जा रहे हैं। इससे पहले जो भी लोग आते थे वे पुराने सोने के बदले में सोने के नए गहने खरीदकर ले जाते थे। हालांकि यह ट्रेंड जनवरी से अप्रैल के दौरान ज्यादा रहा और अब इसमें कमी आ रही है।'
जानकारों के मुताबिक जब भी सोने के भाव में 2,000 से 3,000 रुपए प्रति 10 ग्राम की तेजी आती है तो लोग सोना बेचना शुरू कर देते हैं। चांदनी चौक के कूचामहाजनी के बुलियन मर्चेंट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट श्रीकिशन गोयल के मुताबिक, 'सोना जब 10,000 से 14,000 के स्तर पर आया तो इसके स्क्रैप की बिक्री में भारी तेजी आई। लेकिन अब इसमें कुछ कमी आई है। अब लोग सोने के और ऊपर जाने के इंतजार में रुके हुए हैं।' गोयल के मुताबिक दिल्ली में 200 से 300 टन सोने की सालाना खपत होती है। ज्वैलरी के कारोबारी बताते हैं कि दिल्ली में पहले अगर एक दुकानदार दिनभर में 100 ग्राम सोने के गहने बेचता था तो उसके पास केवल पांच ग्राम पुराना सोना बिक्री को आता था। सोने के भाव में आई तेजी से यह ट्रेंड बदल गया है। गुप्ता बताते हैं, 'जनवरी से अप्रैल के दौरान नए सोने की बिक्री तो गिरकर 10 ग्राम पर आ गई जबकि दुकानदारों के पास बिकने वाले पुराने सोने की मात्रा 100 ग्राम हो गई।' जानकारों के मुताबिक स्क्रैप बिक्री की प्रवृत्ति पहले भी थी लेकिन सोने के 14,000 रुपए प्रति 10 ग्राम के स्तर पर पहुंचने को लोगों ने इसकी बिक्री के जरिए पैसा बनाने का बेहतरीन मौका माना है। बोनांजा ब्रोकरेज के असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट (गोल्ड) विभुरतन धारा के मुताबिक, 'लोगों ने इस बार स्कैप गोल्ड की काफी बिक्री की है। ऊंची कीमतें इसकी सबसे बड़ी वजह है। साल 2005-06 के 7,000 रुपए के स्तर से जब सोने के भाव साल 2007 के फरवरी में 10,758 रुपए के स्तर पर पहुंचे थे, उस वक्त भी सोने के स्क्रैप की घरेलू बिक्री में तेजी आई थी।' दरीबा ज्वैलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष निर्मल जैन के मुताबिक, 'इस वक्त बिक्री पहले के मुकाबले 50 फीसदी भी नहीं है। लोग शादियों में भी कैश से खरीद के बजाय पुराने सोने को बेचकर गहने खरीदने पर ज्यादा जोर दे रहे हैं।' (ET Hindi)
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