चंडीगढ़ July 24, 2009
हरित क्रांति के बाद पंजाब में जैविक क्रांति बनने के आसार हैं। देश के शहरी क्षेत्रों में जैविक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की मांग बढ़ रही है इसी वजह से पंजाब के कुछ प्रगतिशील किसानों का आकर्षण बढ़ा है।
इसी वजह से इन किसानों ने इस तरह की प्रगतिशील खेती के लिए कवायद शुरू कर दी है। चंडीगढ़ सीआईआई में आयोजित जैविक खेती को लेकर एक सभा आयोजित की कई। इसके शरीक हुए मुक्तसर के एक किसान रणबीर सिंह ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि वह जैविक खेती करना चाहते हैं और इससे पहले उन्होंने 20 पहले गेहूं पर इसका प्रयोग भी किया था।
उनका कहना है, 'जैविक खेती एक बेहतर प्रयोग था लेकिन इसकी मार्केटिंग करना भी एक बड़ी समस्या थी। लेकिन अब बड़े शहरों के रिटेल फूड स्टोर्स में इसकी मांग बढ़ रही है जहां स्वास्थ्य का ख्याल करने वाले खरीदार जैविक खाद्य को तरजीह दे रहे हैं। इसी वजह से अब एक बाजार मौजूद है।'
पंजाब में कुछ क्षेत्र हैं जहां जैविक खाद्य पदाथ उपजाने के लिए तरजी दी जा रही है क्योंकि एक तो इससे बेहतर मुनाफा पाया जा सकता है और यह फसल मौसम और किटाणुओं का बेहतर प्रतिरोध कर सकती है।
बिजनेस स्टैंडर्ड से बात करते हुए सीआईआई के एग्री मार्केटिंग के राष्ट्रीय कार्यबल के अध्यक्ष गोकुल पटनायक का कहना है कि पंजाब के कपास उत्पादक क्षेत्र के किसान जैविक कपास की खेती से काफी मुनाफा कमा सकते हैं क्योंकि यहां निर्यात की बहुत संभावनाएं हैं।
उनका कहना है, 'भारत 16,500 टन जैविक कपास का निर्यात सलाना करता है क्योंकि परंपरागत कपास की फसल में एलर्जी भी होती है।' पटनायक के मुताबिक पंजाब की मिट्टी पर जैविक बासमती चावल की खेती भी उपयुक्त थी। उनका कहना है कि पंजाब के किसान मसाला और औषधि वाले पेड़ भी उगा सकते हैं क्योंकि उन्हें कम जगह की जरूरत होती है।
पटनायक का कहना है कि सीआईआई ने जैविक खेतों का मुआयना कराया था ताकि वे किसानों को शिक्षित कर सकें और सूचना दें सकें। पंजाब के नजदीक पटियाला के नाभा में भूमि वरदान फाउंडेशन किसानों को जागरुक बनाने की कोशिश कर रही है ताकि जैविक खेती से किसानों को फायदा मिले।
इस फाउंडेशन के मुख्य परिचालन अधिकारी एन एस काटोच ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि नाभा के लगभग 500 किसानों ने जैविक खेती शुरू की है क्योंकि फाउंडेशन ने इसके लिए थोड़ी मदद भी मुहैया कराई है। उनका कहना है कि वे 1000 एकड़ और ज्यादा क्षेत्र को जोड़ने की कवायद कर रहे हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंच बनाई जा सके। (BS Hindi)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें