नई दिल्ली July 17, 2009
अंतरराष्ट्रीय जिंस बाजार में पोटाश की मानक कीमत अब भारत तय करेगा और अमेरिका और चीन उसका अनुसरण करेंगे।
इससे अंतरराष्ट्रीय जिंस बाजार में मजबूत होती भारत की स्थिति का पता चलता है। हाल ही में भारत ने पोटाश उत्पादक संघों को ठेंगा दिखाते हुए रूसी कंपनी सिल्विनिट के साथ 23,000 रुपये प्रति टन के हिसाब से पोटाश खरीद का एक बड़ा सौदा किया है।
यह कीमत पांच उत्पादकों की ओर से मांगी जा रही कीमत से 26 फीसदी और हाजिर बाजार में पोटाश की कीमत से 37 फीसदी कम है। अंतरराष्ट्रीय पोटाश खपत में भारत की हिस्सेदारी 30 फीसदी है और इसका फायदा उठाकर भारत ने अपनी शर्तों पर यह सौदा किया है।
पिछले हफ्ते हुए सौदे के कारण श्रीलंका को जारी की गई निविदा पर फिर से विचार करना पड़ा और खरीद की योजना को भी टालना पड़ा। पोटाश बाजार की साप्ताहिक रिपोर्ट के अनुसार इस सौदे से सभी आपूर्तिकर्ता आश्चर्यचकित हो गए। फर्टिलाइजर सचिव अतुल चतुर्वेदी ने बताया कि अब बाकी आपूर्तिकर्ता भी इसी कीमत का अनुसरण करेंगे।
सिल्विनिट के साथ 8.5 लाख टन पोटाश की आपूर्ति के लिए सौदा किया गया है। भारत को सालाना 35 लाख टन पोटाश की जरूरत होती है और अगर भारत इसके लिए होने वाले सौदे की कीमत में 10 फीसदी की कमी भी लाता है तो चालू वित्त वर्ष के सब्सिडी बिल में 50,200 करोड़ रुपये की कमी आएगी।
भारत पोटाश के लिए आयात पर ही निर्भर है। चतुर्वेदी ने बताया, '23,000 रुपये प्रति टन पोटाश की कीमत अब अंतरराष्ट्रीय मानक है।'
रूसी कंपनी सिल्विनिट के साथ किया सौदाभारत ने 23,000 रुपये प्रति टन की कीमत पर किया सौदाअमेरिका और चीन भी करेंगे इसी मानक कीमत का अनुसरणहाजिर बाजार से 37 फीसदी कम कीमत पर (BS Hindi)
20 जुलाई 2009
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