अहमदाबाद July 27, 2009
देश में तिलहन उत्पादन में कमी आ रही है, इसी वजह से आयात पर निर्भरता बढ़ रही है।
वनस्पति तेल का आयात मौजूदा तेल वर्ष (नवंबर 2008 से अक्टूबर 2009) में 80 लाख टन का आंकड़ा छूने ही वाला है। इस साल अब तक 58.2 लाख टन का आयात कर लिया गया है।
देश में तिलहन का उत्पादन लगभग 2.6-2.7 करोड़ टन के करीब ही स्थिर हो गया है और उत्पादकता 950 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। भारत तिलहन के लिए पूरी तरह से आयात पर निर्भर है। पिछले तेल वर्ष में देश में 20,000 करोड़ रुपये चुका कर 63 लाख टन का आयात किया था।
सॉल्वेंट एक्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के उपाध्यक्ष अशोक सेथिया का कहना है, 'इस तेल वर्ष में भी हम लगभग 20,000 करोड़ रुपये के लगभग 80 लाख टन का आयात करने को मजबूर होंगे ताकि मांग और आपूर्ति के अंतर को कम किया जा सके।'
वर्ष 2008-09 तेल वर्ष के पहले आठ महीने के दौरान वनस्पति तेल के आयात में 79 फीसदी का उछाल आया और यह 58.2 लाख टन हो गया जो इससे पहले साल की समान अवधि में 35.7 लाख टन था। इस साल जून के दौरान आयात पिछले साल की समान अवधि के 5.94 के मुकाबले 7.81 लाख टन रहा है। इस तरह इसमें 31 फीसदी की वृद्धि हुई है।
इस शीर्ष कारोबारी संस्था ने वनस्पति तेल के लिए भारत की आयात पर बढ़ती निर्भरता पर चिंता जताई है जो अब लगभग 50 फीसदी हो गई है। इस संस्था की मांग है कि वनस्पति तेल पर फिर से सीमा शुल्क लगाया जाना चाहिए और ज्यादा आयात पर नियंत्रण करना चाहिए।
इसके साथ ही तिलहन विकास फंड बनाने की सलाह दी गई है। इस बीच एसईए ने वर्ष 2008-09 में रेपसीड-सरसों फसलों के अनुमान की समीक्षा की है। एसईए रेपसीड-मस्टर्ड प्रमोशन काउंसिल ने रेपसीड-सरसों की फसल में 2 लाख टन की कमी की है और इसे 62 लाख टन कर दिया है। इससे पहले एसोसिएशन ने फरवरी 2009 में कुल 64 लाख टन फसल का अनुमान लगाया था।
क्या है वजह?
तिलहन का उत्पादन 2.6-2.7 करोड़ टन पर स्थिर हुआ मांग व आपूर्ति के अंतर को कम करने के लिए आयात में हो रही है लगातार बढ़ोतरी (BS Hindi)
29 जुलाई 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें