मुंबई July 24, 2009
पहली बार घरेलू मंच पर प्लेटिनम निवेशकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इसकी वजह यह है कि मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर प्लेटिनम का कारोबार पांच गुना बढ़ गया है।
एक्सचेंज पर रोजाना कारोबार 200-300 लॉट तक बढ़ गया है जो जुलाई महीने की शुरुआत में 50-60 लॉट तक था। इस महीने के ओपेन इंटरेस्ट में चार गुना बढ़ोतरी हो चुकी है और अब यह 127 लॉट हो चुका है।
ब्रोकिंग कंपनी शेयरखान डॉट कॉम के एक महंगी धातु के विश्लेषक जिगर पंडित का कहना है कि प्लेटिनम के लिए आकर्षण बढ़ने की वजह यह है कि भारतीय कारोबारियों के बीच सफेद धातु को लेकर आकर्षण बढ़ रहा है।
कारोबार में उछाल की वजह से खरीदारी और बिक्री का अंतर भी अब कम हो गया है। लेकिन यह धातु कारोबार के उद्देश्य से काफी चर्चित हो रहा है न कि डिलीवरी के उद्देश्य से। कारोबारियों का आकर्षण ग्लोबल इन्वेस्टमेंट एडवाइजर गोल्डमैन, सैशे ऐंड कंपनी के इस अनुमान के बाद बढ़ा है कि इस महंगी धातु की कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीद है।
पिछले साल मार्च में इसकी रिकॉर्ड कीमत 2,308.80 डॉलर प्रति औंस थी। दुनिया में सबसे ज्यादा प्लैटिनम उत्पादन दक्षिण अफ्रीका से होता है लेकिन वहां की खदानों में काम नहीं चल रहा है इसी वजह से आपूर्ति में कमी आई। हाल ही में गोल्डमैन ने न्यूयॉर्क मर्केंटाइल एक्सचेंज (नीमेक्स) पर जनवरी की डिलीवरी के लिए प्लेटिनम खरीदने की सलाह दी है।
ऐसा कहा जाता है कि रिकवरी दीर्घ अवधि के लिहाज से बेहतर होगी। ग्लोबर इंवेस्टमेंट एडवाइजर का यह तर्क है कि इस धातु का ज्यादातर इस्तेमाल कार में प्रदूषण नियंत्रण उपकरण में किया जाता है। ऑटोमोबाइल उत्पादन में बढ़ोतरी से दक्षिण अफ्रीका की प्लेटिनम की आपूर्ति की दिक्कतें सामने आ सकती हैं।
जनवरी में धातु की डिलीवरी का कारोबार नीमेक्स पर लगभग 1,171 डॉलर प्रति औंस है। यह जनवरी में आर्थिक मंदी और कार की मांग में कमी के मद्देनजर यइ 863 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर पहुंच गया। दुनिया भर में कार की बिक्री में कमी और वैश्विक आर्थिक मंदी के मद्देनजर धातु में 42 फीसदी तक की गिरावट आई।
दुनिया भर में जितने प्लेटिनम का उत्पादन होता है उसका इस्तेमाल कार निर्माताओं के लिए ऑटो-कैटालिस्ट के तौर पर किया जाता है जिसमें 60 फीसदी इस धातु का इस्तेमाल किया जाता है। विश्लेषकों के मुताबिक कार की मांग में इस साल के बाद इजाफा होगा क्योंकि अर्थव्यवस्था में सुधार के आसार दिखेंगे और प्लेटिनम समूह के धातु की मांग में भी उछाल आएगा।
इसी वजह से इस साल की तीसरी तिमाही में प्लेटिनम की कीमत औसतन 1,125 डॉलर प्रति औंस हो सकती है जो चौथी तिमाही में 1,175 डॉलर हो सकती है। अगले साल विश्लेषकों का ऐसा मानना है कि यह धातु 1240 डॉलर प्रति औंस तक जा सकता है।
यह धातु ज्वेलरी और दूसरे खुदरा सेगमेंट के लिए इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि भारत में इसके खपत के कोई खास आंकड़े मौजूद नहीं हैं। विश्लेषकों का यह अनुमान यह दर्शाता है कि भारत में इसकी खपत मौजूदा वित्तीय वर्ष में सालाना 10 फीसदी बढ़कर 1025 किलोग्राम हो गई है जो पिछले साल 932 किलोग्राम थी। (BS Hindi)
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