मुंबई July 24, 2009
हाल में तेल मार्केटिंग कंपनियों के निविदा की प्रतिक्रिया के मद्देनजर चीनी मिलों ने एथेनॉल की औसत कीमत 25 रुपये तय करने की मांग की हैं।
तीन साल पहले यह कीमत लगभग 21.50 रुपये तक थी। गुड़ की कीमत में तेजी आ रही है और अब यह 3000 रुपये प्रति टन के मुकाबले 5500 रुपये प्रति टन हो गया है। एथेनॉल के उत्पादन की लागत लगभग 26-27 रुपये प्रति लीटर है। ऐसे में एथेनॉल की आपूर्ति 21.50 रुपये पर होना लाभकारी नहीं है।
मध्यप्रदेश और गोवा की निविदा गुरुवार को ही खत्म हो गई और वर्ष 2007 के फरवरी की निविदा की तुलना में इस साल बहुत कम प्रतिभागियों ने निविदा में हिस्सा लिया। इसकी वजह यह थी कि छोटे और मध्यम आकार की मिलों में एथेनॉल की उपलब्धता नहीं है।
पहले की निविदा में सभी तरह के के उत्पादर्नकत्ताओं को आमंत्रित किया जाता था लेकिन इस बार की निविदा में एथेनॉल बनाने वाले आपूर्तर्िकत्ता को गुड़ और गन्ने के आपूर्तर्िकत्ताओं से अलग कर दिया गया।
इसका मतलब यह है कि एथेनॉल उत्पादर्नकर्ता जो मीठा ज्वार, अनाज, मक्के का इस्तेमाल करते हैं उन्हें ही इस निविदा में शामिल होने का मौका मिला जबकि दूसरे कच्चे सामान से बने हुए एथेनॉल को इस निविदा में शामिल करने से रोक दिया गया।
उद्योग के सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्र में ही केवल 30 इस तरह के निर्मार्णकर्ता हैं जिनके पास प्रतिदिन 30-35 हजार लीटर एथेनॉल उत्पादन की क्षमता है लेकिन वे इस निविदा में भाग नहीं ले पाए। एथेनॉल पर बेहद मशहूर ऑनलाइन जानकारी देने वाला एथेनॉल इंडिया डॉट नेट के मुख्य कंसल्टेंट दीपक देसाई का कहना है कि इन इकाईयों की उत्पादन क्षमता बहुत कम है और इसमें हिस्सा लेने से ही कुछ अंतर हो सकता है।
बड़े एथेनॉल उत्पादनकर्ताओं के एक अधिकारी का कहना है, 'यह पूरी तरह से कंपनी कारोबारी खेल है। एथेनॉल चीनी निर्माण की प्रक्रिया में बना हुआ उत्पाद है जो खुद ही तैयार हो जाता है, ऐसे में चीनी मिल आपूर्ति की इस स्थिति को बरकरार रखेंगे।'
उनका कहना है कि दूसरे कच्चे माल के उत्पादर्नकत्ता एक्स्ट्रा न्यूट्रल एल्कोहल (ईएनए) के उत्पादन के लिए कोशिश कर सकते हैं जिसे ग्राहक प्रत्यक्ष उपभोग के लिए पसंद करते हैं। एथेनॉल की कीमत 25 रुपये प्रति लीटर के नीचे रहना सही नहीं है।
पीने योग्य शराब में एथेनॉल की मात्रा 94.68 फीसदी रहती है और फिलहाल यह 37-38 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बिकता है जबकि एथेनॉल की कीमत 21.50 रुपये प्रति लीटर है। हालांकि निर्माणकर्ताओं के लिए पहले वाली श्रेणी का शराब बनाना सही नहीं होता जबकि एथेनॉल के शुद्धीकरण के लिए अतिरिक्त 5 फीसदी निवेश की जरूरत होती है।
नई बायोफ्यूल नीति 2017 के तहत तेल मार्केटिंग कंपनियों को 10 फीसदी एथेनॉल में ईंधन मिलाने की अनुमति मिली हुई है जिसे 2017 तक बढ़ाकर 20 फीसदी करने का प्रस्ताव है। इससे कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता भी कम होगी और सलाना तेल बिल में भी कटौती होगी।
पिछले साल गन्ना किसानों के खराब प्रदर्शन की वजह से देश में गन्ने के उत्पादन में तेजी से गिरावट हुई और यह वर्ष 2007-08 के 34.81 करोड़ टन के मुकाबले 28.92 करोड़ टन हो गया। वर्ष 2008-09 में भारत में चीनी का उत्पादन कम होकर 1.47 करोड़ टन हो गया जो इससे पिछले साल 2.63 करोड़ टन हो गई।
औद्योगिक सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्र में ही केवल 70 करोड़ लीटर रस की क्षमता है। लेकिन अगर गन्ने के उत्पादन की क्षमता इसी स्तर पर बनी रहती है तो केवल 60 फीसदी क्षमता का ही उपयोग हो पाएगा। इसका मतलब यह है कि एथेनॉल की उपलब्धता मुख्य चीनी मिलों से कम ही रहेगी। (BS Hindi)
25 जुलाई 2009
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