नई दिल्ली: दूध की कीमतों पर अंकुश लगाने और घरेलू बाजार में इसकी आपूर्ति सुधारने के लिए दुनिया में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक भारत आने वाले सप्ताहों में स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) का आयात कर सकता है। लोकसभा को एक लिखित जवाब में कृषि राज्य मंत्री के वी थॉमस ने कहा, 'आने वाले सप्ताहों में अगर स्थिति बिगड़ती है तो नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड को टैरिफ रेट कोटा (टीआरक्यू) के तहत एसएमपी आयात करने के लिए एक योजना तैयार करने की सलाह दी गई है।' राष्ट्रीय स्तर पर दूध का उत्पादन पर्याप्त है जो घरेलू स्तर पर दूध और दूध के उत्पादों की मांग पूरा करने में समर्थ है। उन्होंने कहा कि अगर दूध की बहुत ज्यादा कमी होती है तो टीआरक्यू के तहत पांच फीसदी आयात शुल्क पर 10,000 टन दूध पाउडर आयात करने की अनुमित दी जा सकती है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार के मुकाबले घरेलू बाजार में एसएमपी की अधिक कीमतों की बात स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि यह महज 'सीजन की मांग' के कारण है। आमतौर पर गर्मियों में दूध और दूध पाउडर की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिलती है क्योंकि गर्मी के कारण पशुओं को मुश्किल होने से दुग्ध उत्पादन और भंडारण, दोनों के ऊपर बुरा असर पड़ता है। उन्होंने बताया कि ओसेनिया, पश्चिमी यूरोप और अमेरिका में एसएमपी की कीमतें दूध के उत्पादन लागत पर निर्भर करती हैं और वहां की संबंधित सरकारें निर्यात सब्सिडी भी देती हैं। थॉमस ने बताया कि भारत में जुलाई में एसएमपी की कीमतें 140 रुपए प्रति किलो पर थीं जबकि ओसियाना और अमेरिका में कीमत 97 रुपए प्रति किलो और पश्चिमी यूरोप में कीमत 114 रुपए प्रति किलो। दिल्ली के डेयरी विशेषज्ञ आर एस खन्ना का कहना है, 'गर्मियों के दौरान कम उत्पादन के बीच मांग बढ़ जाने के कारण कीमतों में तेजी देखने को मिलती है। हालांकि एसएमपी उत्पादन करने के लिए देश में दूध की कमी नहीं है और आयात करने की जरूरत नहीं है।' 2007-08 के दौरान देश में दूध का कुल उत्पादन 10.48 करोड़ टन रहा था। (ET Hindi)
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