मुंबई : मानसून की अनिश्चितता के कारण ग्वार सीड के बुआई क्षेत्र में काफी गिरावट आई है। किसान कपास और दलहन जैसी फसलों तवज्जो दे रहे हैं। इसका असर यह हुआ है कि ग्वार सीड की कीमतों में तेजी आई है। जुलाई में पहले ही इसकी कीमतों में प्रति क्विंटल 200 रुपए की तेजी आ चुकी है। जानकारों का कहना है कि ग्वार सीड बाय-प्रोडक्ट की मांग बढ़ रही है। लिहाजा इसकी कीमतों में मजबूती बरकरार है। ग्वार सीड का बाय-प्रोडक्ट ग्वार गम है। इसका इस्तेमाल फूड, पेट्रोलियम, पेपर और टेक्सटाइल मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री में होता है। कोरमा और चुरी ग्वार भी ग्वार सीड के सह-उत्पाद हैं, इनका इस्तेमाल पशुओं के चारे के तौर पर होता है।कों
आमतौर पर ग्वार सीड की बुआई जून में शुरू हो जाती है और यह जुलाई-अगस्त तक चलती रहती है। इसकी कटाई अक्टूबर में शुरू होती है। देश में सबसे ज्यादा ग्वार सीड राजस्थान में होता है। इस राज्य की ग्वार सीड के कुल उत्पादन में फीसदी हिस्सेदारी है। हरियाणा, गुजरात और पंजाब में भी ग्वार सीड की खेती होती है। राजस्थान सरकार के अधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, इस साल 17 जुलाई तक ग्वार सीड का उत्पादन क्षेत्र, पिछले साल के मुकाबले 52 फीसदी कम था। जानकारों का कहना है कि बारिश में देरी और कपास की ओर किसानों का झुकाव बढ़ने से ग्वार सीड की बुआई का इलाका कम हुआ है। राजस्थान के जोधपुर में मंगलवार को ग्वार सीड का भाव प्रति क्विंटल 2,060 रुपए था, जो पिछले महीने के मुकाबले 200 रुपए प्रति क्विंटल ज्यादा है। एनसीडीईएक्स में इस महीने ग्वार सीड के अगस्त वायदा में प्रति क्विंटल 200 रुपए की तेजी आई है। जानकारों को ग्वारसीड की कीमतों में आगे भी तेजी बने रहने की उम्मीद है। एसएमसी ग्लोबल सिक्योरिटीज के अजीत कुमार ने बताया कि बाजार में नई खेप आने तक ग्वार सीड में मजबूती का रुख बना रहेगा। इसकी कीमत 2400 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच सकती है। उन्होंने कहा, 'इस साल ग्वार सीड के उत्पादन क्षेत्र में गिरावट आएगी और इसका उत्पादन 60-65 लाख बैग (100 किलोग्राम) रहेगा, जो पिछले साल 90 लाख बैग था।' (ET Hindi)
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