22 जुलाई 2009
भारी स्टॉक होने से लाल मिर्च की मौजूदा तेजी टिकना कठिन
नई दिल्ली. मानसून में देरी के चलते लाल मिर्च के भाव में भले ही हाल में तेजी दर्ज की गई हो, लेकिन उत्पादक राज्यों में बारिश होते ही भाव फिर गिर सकते हैं। पिछले एक सप्ताह में लालमिर्च की कीमतों में 200-300 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई। गुंटूर में लाल मिर्च का 50 लाख बोरी (एक बोरी 45 किलो) का स्टॉक बचा हुआ है। लालमिर्च की बुवाई शुरू होने में अभी एक-डेढ़ महीने का समय शेष है। ऐसे में एकाध बारिश होते ही लालमिर्च की मौजूदा कीमतों में 400-500 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आने का अनुमान है।गुंटूर मंडी स्थित स्पाइस ट्रेडिंग कंपनी के प्रोपराइटर विनय बूबना ने बताया कि गुंटूर में लाल मिर्च का लगभग 50 लाख बोरियों का स्टॉक है जबकि घरेलू मांग काफी कमजोर बनी हुई है। लेकिन मानसून कमजोर रहने के कारण पिछले एक सप्ताह में स्टॉकिस्टों की लिवाली ने बढ़िया क्वालिटी की लाल मिर्च में 200-300 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी ला दी। लेकिन नई फसल की बुवाई अगस्त के मध्य में शुरू होगी तथा सितंबर तक चलेगी। इसलिए उत्पादक क्षेत्रों में एकाध बारिश होते ही स्टॉकिस्टों की बिकवाली बढ़ जाएगी। जिससे मौजूदा भावों में भारी गिरावट की संभावना है।स्टॉकिस्टों की सक्रियता से मंडी में तेजा क्वालिटी की लालमिर्च के भाव बढ़कर 6500 से 6600 रुपये, ब्याड़गी क्वालिटी के भाव 5800 से 6000 रुपये, 334 क्वालिटी के भाव 5300 से 5400 रुपये, सनम के भाव 5300 से 5400 रुपये प्रति तथा फटकी क्वालिटी के भाव 2000 से 3500 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं। लेकिन ऊंचे भावों में मांग काफी कमजोर बनी हुई है। मुंबई स्थित लाल मिर्च के निर्यातक अशोक दत्तानी ने बताया कि इस समय बांग्लादेश की हल्की-फुल्की मांग जरूर निकल रही है लेकिन अन्य देशों की मांग न के बराबर है। भारतीय मसाला बोर्ड के सूत्रों के अनुसार चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों अप्रैल-मई में लाल मिर्च के निर्यात में 48 फीसदी की भारी गिरावट आई है। इस दौरान देश से मात्र 26,000 टन लाल मिर्च का निर्यात हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 50,275 टन का निर्यात हुआ था। वित्त वर्ष 2008-09 के दौरान देश से लाल मिर्च का निर्यात 188,000 टन रहा था जबकि वित्त वर्ष 2007-08 में इसका निर्यात 209,000 टन का था। लालमिर्च के व्यापारी मांगीलाल मुंदड़ा ने बताया कि चालू सीजन में आंध्र प्रदेश में लाल मिर्च का कुल उत्पादन घटकर 130-135 लाख बोरी का ही होने की अनुमान है जो कि पिछले साल के 150 लाख बोरी से कम है। ऐसे में उत्पादन घटा है लेकिन पिछले तीन-चार महीनों से निर्यात मांग काफी कमजोर बनी हुई है। उधर मध्य प्रदेश में लाल मिर्च की बुवाई में पिछले साल के मुकाबले इजाफा हुआ है। ऐसे में आंध्र प्रदेश में लाल मिर्च के उत्पादक क्षेत्रों में एक-दो बारिश होते ही स्टॉकिस्टों की बिकवाली बढ़ सकती है जिससे लाल मिर्च के मौजूदा भावों में गिरावट के ही आसार हैं। (Business Bhaskar....R S Rana)
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