नई दिल्ली: दुनिया में सोने की सबसे ज्यादा खपत करने वाला भारत इस कारोबार में आउटसोर्सिंग का एक बड़ा ठिकाना बन रहा है। गहने बनाने वाली देश की कई इकाइयां दुबई से सोने का आयात कर उसके गहने बना कर वापस दुबई में निर्यात करने के कारोबार में लगी हैं। पिछले कुछ सालों में इस कारोबार में खासी तेजी आई है। आउटसोर्सिंग की कई इकाइयां दिल्ली और नोएडा में मौजूद हैं। दुबई सोने के कारोबार का एक बड़ा हब है। सोने की कीमतों में आई तेजी ने दुबई के साथ भारत के सोने के कारोबार में तेज इजाफा किया है। साल 2008 में भारत का दुबई के साथ सोने का ट्रेड साल 2007 के 19 अरब डॉलर से 53 फीसदी बढ़कर 29 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
जानकारों के मुताबिक साल 2009 में इस कारोबार में और ज्यादा तेजी रहने की उम्मीद है। सोने की ज्वैलरी बनाने वाली कई इकाइयां दिल्ली और नोएडा में मौजूद हैं। इन इकाइयों में दुबई से आने वाले सोने से गहने बनाकर उन्हें दोबारा दुबई निर्यात कर दिया जाता है। नोएडा के स्पेशल इकनॉमिक जोन (सेज) में सोने के गहने बनाने वाली करीब 50 से 55 निर्यात केन्द्रित इकाइयां (ईओयू) मौजूद हैं। इसके अलावा दिल्ली में भी 3-4 ईओयू इकाइयां हैं जो दुबई से सीधे सोने का आयात कर गहने बनवाकर वापस निर्यात कर देती हैं। दिल्ली की इसी तरह की एक यूनिट के मुताबिक करीब 1.5 टन सोना सालाना दिल्ली आता है और वह गहनों के तौर पर वापस दुबई चला जाता है। दिल्ली के उलट नोएडा के सेज में दुबई से आने वाले सोने की मात्रा करीब 15 टन मासिक है। पिछले कुछ वक्त से इस कारोबार में काफी तेजी आई है। नोएडा में इसी तरह की एक इकाई के अधिकारी के मुताबिक, 'साल 2007 के मुकाबले साल 2008 में यह कारोबार बढ़कर दोगुना हो गया। इस साल भी यह कारोबार इसी रफ्तार से बढ़ रहा है।' इस अधिकारी के मुताबिक, 'दुबई से सोने के गहने यूरोपीय और दूसरे बाजारों में चले जाते हैं।' दुबई से आने वाला पूरा सोना 90 दिन की री-एक्सपोर्ट के नियम के साथ देश में आता है। पी सी ज्वैलर्स के प्रबंध निदेशक बलराम गर्ग के मुताबिक, 'दुबई से आयात होने वाले सोने के गहने बनवाकर वापस भेज देने का कारोबार तो है ही लेकिन इस बार पुरानी ज्वैलरी को शुद्ध सोने में बदलकर उसे दुबई निर्यात करने का कारोबार काफी बढ़ा है। इसकी वजह घरेलू बाजार में कम हो रही मांग है।' गर्ग बताते हैं कि सालाना करीब 200 से 300 टन ऐसा सोना देश में आता है जिसे गहनों में बदलकर पूरी तरह से निर्यात कर दिया जाता है। दुबई के साथ इस कारोबार के बढ़ने की अहम वजह भारत में ज्वैलरी के बेहतर कारीगरों का सस्ती दर पर उपलब्ध होना है। नोएडा की ईओयू इकाई के अधिकारी ने कहा, 'इस पूरे कारोबार में मार्जिन केवल यही कम मैन्युफैक्चरिंग लागत से बचने वाली रकम है।' (ET Hindi)
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