लंदन: कच्चे तेल में तेजी जारी है। सोमवार को लगातार तीसरे दिन इसकी कीमतों में उछाल आया और यह तीन हफ्तों के सबसे ऊपरी स्तर पर पहुंच कर 69 डॉलर प्रति बैरल हो गया। असल में कच्चे तेल के इस स्तर के पीछे आर्थिक स्थिति सुधरने की उम्मीद के कारण शेयर बाजारों का आगे बढ़ना है। आस है कि आर्थिक हालात बेहतर होने से कच्चे तेल की मांग बढ़ेगी। पिछले आठ महीनों को देखें तो यूरोपीय शेयरों के दाम अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच चुके हैं। उम्मीद से बेहतर आमदनी के कारण ऐसा हुआ। एशियाई शेयर बाजारों में भी तेजी का रुख बना हुआ है। बीते नौ कारोबारी सत्रों में से आठ में अमेरिकी कच्चे तेल के दाम बढ़े हैं। सोमवार को इसमें 58 सेंट की तेजी आई और यह 68.63 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
पूरे दिन के कारोबार के दौरान कीमत 68.99 डॉलर के स्तर पर पहुंच गई। 2 जुलाई के बाद से यह उच्चतम स्तर है। ब्रेंट क्रूड के दाम 61 सेंट बढ़कर 70.93 डॉलर पर पहुंच गए। पेट्रोमैट्रिक्स में ऑयल एनालिस्ट ओलिवर जैकब ने कहा, 'अभी नतीजों का मौसम चल रहा है और अमेरिका से भी आंकड़े आने अभी बाकी है। शेयरों की कीमत बढ़ने से तेल बाजार में भी तेजी आने की संभावना है।' पिछले कुछ महीनों से तेल और कमोडिटी बाजार शेयर बाजारों पर नजर बनाए हुए हैं। विश्लेषकों को लग रहा है कि अब आर्थिक हालात में थोड़ा सुधार हो रहा है। आर्थिक गिरावट के दौरान पूरी दुनिया में कच्चे तेल की मांग कम हुई जो पिछले 25 सालों में पहली बार देखने को मिला। इस हफ्ते एक्सॉन मोबिल, होंडा मोटर, मोटोरोला, डोएचे बैंक और बीपी के नतीजे आए। साथ ही अमेरिका में नए घरों की बिक्री और सकल घरेलू उत्पाद के भी आंकड़े भी सामने आए। दूसरी ओर एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में भी हालात तेजी से सुधर रहे हैं। इस मामले में चीन सबसे आगे है। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि इसके चलते आने वाले महीनों में कच्चे तेल की कीमतों को और समर्थन मिलेगा। बार्कलेज कैपिटल का कहना है, 'एशिया में जिस तेजी से सुधार होगा उसका असर तेल उत्पादों पर पड़ेगा। किसी दूसरे क्षेत्र के मुकाबले आर्थिक हालात सुधरने के साथ एशिया में तेल की मांग में ज्यादा इजाफा होता है। एशियाई देशों की अर्थव्यवस्थाएं अनुमान से बेहतर गति से सुधर सकती हैं।' गोल्डमैन सैक्स का कहना है कि इस साल के अंत तक अमेरिकी कच्चे तेल के दाम 85 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकते हैं। रॉयटर्स के एक सर्वे के मुताबिक बीते दो सालों के मुकाबले 2010 में पूरी दुनिया में तेल की खपत बढ़ेगी। वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार आने से तेल की मांग में इजाफा होगा। दिसंबर में तेल के दाम चार सालों के न्यूनतम स्तर 32.40 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गए थे। (ET Hindi)
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