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15 जुलाई 2009

चावल निर्यातकों की नजर मानसून पर

मुंबई: रुपए में भारी उतार-चढ़ाव के कारण घरेलू कमोडिटी एक्सचेंजों में सोना, चांदी, तांबा और कच्चे तेल जैसी कमोडिटी के कारोबारियों के मुनाफे पर असर पड़ा है। इस साल 3 मार्च से 9 जुलाई के बीच रुपए में 10 फीसदी से अधिक का उतार-चढ़ाव आया है। इससे स्थानीय एक्सचेंज एमसीएक्स और नायमेक्स तथा लंदन मेटल एक्सचेंज पर हुए कारोबार की कीमतों में काफी फर्क रहा। ऐसे में जिन ट्रेडरों ने घरेलू दरों को मानक मान वैश्विक कमोडिटी के वायदा में खरीदारी की थी, उन्हें काफी नुकसान हुआ है। अगर डॉलर की तुलना में रुपए में मजबूती आए तो घरेलू एक्सचेंज पर सोने की खरीद करने वाले पंटर को वैश्विक एक्सचेंजों में आई तेजी का लाभ नहीं मिल सकता है।
इसी तरह से जब डॉलर के मुकाबले रुपए में कमजोरी हो तब वह सोना बेचकर भी उतना पैसा नहीं बना सकता है जितना अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंजों पर उसके समकक्ष कारोबारी पीट लेंगे। अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी का कारोबार डॉलर में होने से उसके धारक को होने वाला फायदा मुद्रा की मजबूती और कमजोरी पर निर्भर करता है। एमसीएक्स पर सोना, चांदी जैसी कमोडिटी की कीमतें अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी एक्सचेंज की कीमतों से तय होती हैं। मुंबई स्थित कॉमट्रेंड्ज रिसर्च के विश्लेषण के मुताबिक 3 मार्च से 9 जुलाई के बीच डॉलर की तुलना में रुपया 6.25 फीसदी मजबूत हुआ है। डॉलर की तुलना में 3 मार्च को रुपया 51.96 पर था, जो 9 जुलाई को मजबूत होकर 48.71 रुपए पर आ गया। उदाहरण के तौर पर देखें कि जून में जब कॉमेक्स पर सोना का वायदा 992 डॉलर प्रति औंस था, तब एमसीएक्स पर यह 6.7 फीसदी नीचे 14,970 रुपए प्रति दस ग्राम पर था। इसी तरह मार्च के 12.77 डॉलर की तुलना में जून में जब कॉमेक्स पर चांदी 16.25 डॉलर प्रति औंस थी तब एमसीएक्स पर चांदी 24,690 रुपए प्रति किलो पर थी जो कॉमेक्स के उच्चतम भाव से 9 फीसदी नीचे थी। इसी तरह नायमेक्स पर कच्चे तेल का वायदा 3 मार्च के 46.50 डॉलर प्रति बैरल पर था, वह 9 जुलाई को करीब 30 फीसदी की तेजी के साथ 60.41 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था, लेकिन एमसीएक्स पर यह तेजी महज 15 फीसदी ही थी। (BS Hindi)

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