नई दिल्ली: मॉनसून से मायूसी गहराती जा रही है। झारखंड सरकार ने मंगलवार को राज्य के 22 जिलों को सूखा प्रभावित घोषित कर दिया। मणिपुर में पहलेही सभी 9 जिलों को सूखाग्रस्त करार दिया जा चुका है। हालांकि, मौसम विभाग ने अभी भी उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा है। उसने कहा है कि जल्द ही मॉनसून की बारिश बढ़ेगी। यही नहीं मौसम विभाग अभी भी मॉनसून के सामान्य से सिर्फ 7 फीसदी कम रहने की अपनी भविष्यवाणी पर कायम है। ऐसे में सरकार ने भी सूखे से निपटने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। हालांकि वह यह भी उम्मीद कर रही है कि जल्द ही बारिश को लेकर हालात सुधरेंगे। मॉनसून के धोखा देने की हालत में 4.8 करोड़ टन के अनाज भंडार से सरकार राहत महसूस कर सकती है। उद्योग जगत भी मॉनसून के अभी तक के आंकड़ों को लेकर बहुत फिक्रमंद नहीं है। उसका मानना है कि बारिश के सामान्य से 20 फीसदी कम होने पर ही हालात चुनौतीपूर्ण होंगे।
मौसम विभाग ने देश को बारिश के लिहाज से 36 सब-डिविजन में बांटा है। मौसम विभाग के मुताबिक, 8 जुलाई तक इनमें से 21 में सामान्य या उससे ज्यादा बारिश हुई थी। यह 24 जून के मुकाबले बेहतर स्थिति है। उस वक्त तक 28 सब-डिविजन में बारिश कम हुई थी। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने मंगलवार को संसद में कहा, 'हाल के कुछ हफ्तों में मॉनसून के आगे बढ़ने को लेकर चिंता बढ़ी है। सरकार हालात पर नजर बनाए हुए है। अगर जरूरत पड़ी तो फौरन कदम उठाए जाएंगे।' हाइड्रो पावर के मोर्चे पर भी हालात गंभीर हैं। बिजली सचिव एच एस ब्रह्मा ने बताया, 'पनबिजली उत्पादन में काफी गिरावट आ चुकी है। भाखड़ा को छोड़कर देश के सभी हाइड्रो पावर प्लांट अपनी क्षमता से 40 फीसदी कम बिजली का उत्पादन कर रहे हैं।' मानसून के दगा देने का असर एफएमसीजी कंपनियों पर भी पड़ सकता है, जिन्हें पिछली पांच-छह तिमाहियों से ग्रामीण इलाकों में मांग बढ़ने का फायदा मिल रहा था। अब ये कंपनियां डिस्ट्रीब्यूशन और विज्ञापन पर खर्च घटा सकती हैं। हालांकि, एफएमसीजी कंपनियों का कहना है कि उनकी चिंता तभी बढ़ती है, जब मॉनसून की बारिश सामान्य से 20 फीसदी कम हो जाती है। कंपनियों का कहना है कि हाल के समय में मॉनसून पर ग्रामीण अर्थव्यवस्था की निर्भरता कम हुई है। दरअसल, उन क्षेत्रों में हाल में गैर-कृषि आमदनी बढ़ी है। इस वजह से अब ग्रामीण अर्थव्यवस्था पहले की तरह मॉनसून के भरोसे नहीं रह गई है। डाबर के सीईओ सुनील दुग्गल के मुताबिक, 'मॉनसून में देरी से बिक्री पर मामूली असर पड़ सकता है। बिक्री में 3-4 फीसदी की कमी हो सकती है। हालांकि अगर सूखे की हालत गंभीर होती है, तब हम यह देखेंगे कि उन इलाकों में अतिरिक्त डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क की जरूरत है या नहीं। अगर मांग में कमी आती है तो हम मुनाफा बचाने के लिए खर्च घटाएंगे।' वहीं गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट के अधिकारी ने बताया कि अगर बिक्री कम होती है तो उनकी कंपनी खर्च को काबू में करने की कोशिश करेगी। हालांकि, फिलहाल इसकी जरूरत नहीं है। (ET Hindi)
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