भुवनेश्वर July 28, 2009
देश भर के कोयले के उपभोक्ताओं ने फॉरवर्ड ई-नीलामी के जरिए कोयले की फ्लोर कीमतों को दोगुना दर पर तय करने कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के फैसले पर चिंता जताई है।
कोयला उपभोक्ताओं का यह आरोप है कि सीआईएल उपभोक्ताओं की हित का ख्याल रखे बिना कोयले की फॉरवर्ड ई-नीलामी की बिक्री के जरिए ज्यादा मुनाफा कमाना चाहती है।
उद्योग के एक सूत्रों का कहना है, 'फॉरवर्ड ई-नीलामी के जरिए कोयले की बिक्री की ज्यादा फ्लोर कीमतों का मुद्दा उठाया है और उनका कहना है कि कोयले के उपभोक्ता ज्यादा ऊंची दर पर कच्चे माल को नहीं खरीद सकते।
हालांकि सीआईएल प्रबंधन का कहना है कि फॉरवर्ड ई-नीलामी की कीमतें गहरी खानों से निकले कोयले के मुकाबले ऊंची होंगी जिसमें उत्पादन की ज्यादा लागत भी शामिल है। इसके इस रास्ते के जरिए बेचा जाएगा।'
सीआईएल ने यह स्पष्ट किया है कि उच्च श्रेणी वाला कोयला जो गहरे खदान से निकला हो और जिसमें राख की मात्रा कम हो उसे फॉरवर्ड ई-नीलामी के जरिए बेचा जाएगा। इस कोयले की फ्लोर कीमत को ज्यादा होना चाहिए क्योंकि गहरी खान के कोयले के उत्पादन की लागत ओपेन कास्ट प्रोजेक्ट के मुकाबले ज्यादा होती है।
सीआईएल के मुख्य महाप्रबंधक (मार्केटिंग) का कहना है, 'फॉरवर्ड ई-नीलामी के जरिए बेचे लाने वाले कोयले की फ्लोर कीमत ज्यादा होगी क्योंकि बिक्री के लिए उच्च श्रेणी और कम राख वाले कोयले का ऑफर दिया जा रहा है। जबकि उपभोक्ता कम कीमत पर कोयले की आपूर्ति चाहते हैं। हालांकि कोयले की बिक्री अधिसूचित कीमतों पर ही की जाती है।'
वर्ष 2009-10 में 4.5 करोड़ टन कोयले की बिक्री ई-नीलामी के जरिए की जाती है जबकि 10 फीसदी ई-नीलामी वाले कोयले को फॉरवर्ड ई-नीलामी के जरिए बेचने का प्रस्ताव है। फॉरवर्ड ई-नीलामी को दो मंच एमजंक्शन डॉट कॉम और एमएसटीसी लिमिटेड हैं।
कोयले के उपभोक्ताओं को इस बात पर भी ऐतराज है कि सीआईएल फ्यूल सप्लाई एग्रीमेंट (एफएसआई) पर हस्ताक्षर करने में देरी कर रही है। कोयले के आयात की शर्त के मुताबिक यह जरूरी था कि कोयले के उपभोक्ताओं को आयातित कोयले और घरेलू कोयले को तयशुदा कीमत पर सीआईएल से खरीदना होगा।
कोयले के उपभोक्ताओं को इस बात पर ऐतराज था कि आयातित कोयला व्यावसायिक रूप से बेहतर नहीं है। इस मुद्दे पर कोयले के इन उपभोक्ताओं ने इस साल 27 मार्च को हुई बैठक में सीआईएल को ध्यान दिलाया था।
लगभग चार महीने के बाद सीआईएल प्रबंधन ने आयातित कोयले से जुड़ी इस शर्त में थोड़ी ढ़ील देने की बात कही है। इस आश्वस्ति के मुताबिक कोयले के उपभोक्ताओं को आयातित कोयला खरीदने के लिए एफएसए और सीआईएल के साथ जुड़ने की कोई जरूरत नहीं है। (BS Hindi)
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