नई दिल्ली July 20, 2009
इस साल दुनिया भर के अनाज उत्पादन में 3.4 फीसदी तक की गिरावट होने की संभावना है लेकिन इसके बावजूद इस सीजन में दूसरा सबसे ज्यादा खेती का रिकॉर्ड बनेगा।
पिछले साल भी रिकॉर्ड स्तर पर उत्पादन हुआ था, लेकिन इस साल इसमें थोड़ी कमी आ रही है। हालांकि कम उत्पादन का असर न तो वैश्विक स्तर के अनाज स्टॉक पर पड़ेगा और न ही ज्यादातर अनाजों (चावल को छोड़कर) की अंतरराष्ट्रीय कीमत में कोई कमी आएगी।
संयुक्त राष्ट्र संघ के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की वैश्विक खाद्य पर ताजा रिर्पोट में यह बात आई है। इसमें यह भी संकेत है कि निर्यात की आपूर्ति पिछले साल के स्तर पर समान रहेगी। इसकी वजह यह है कि मांग में कमी आई है खासतौर पर गेहूं और मोटे अनाजों की क्योंकि जानवरों के लिए इस तरह के अनाजों का इस्तेमाल अब कम किया जा रहा है।
इस रिपोर्ट में इस बात का संकेत है कि पिछले कुछ हफ्ते में ज्यादातर अनाजों की अंतरराष्ट्रीय कीमतें कम हो गई हैं। इसकी वजह यह है कि बेहतर उत्पादन के अनुमानों के बीच सीजनल खेती का दबाव कम हुआ है। कई देशों मसलन भारत, चीन, उत्तरी अफ्रीका और सीआईएस देशों के उत्पादन की स्थिति अनुकूल नजर आ रही है।
इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया में बेहतर बारिश की वजह से भी वैश्विक अनाज की कीमतों में गिरावट आ रही है। अमेरिकी गेहूं की निर्यात कीमत पिछले हफ्ते 228 डॉलर प्रति टन थी। यह पिछले साल के मुकाबले 33 फीसदी कम थी और वर्ष 2008 के रिकॉर्ड स्तर के मुकाबले 50 फीसदी नीचे थी।
हालांकि चावल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में भी काफी बदलाव दिखा इसकी वजह भारत में शुरुआती सीजन के दौरान बेहद अनुकूल मानसून की बारिश नहीं हुई। एफएओ की रिर्पोट की मानें तो इस साल कुल अनाज का उत्पादन 220.8 करोड़ टन हो सकता है और इसमें 3.4 फीसदी की कमी आई।
वर्ष 2008 में इसका उत्पादन 228.5 करोड़ टन था। गेहूं और मोटे अनाज के उत्पादन में खासतौर पर कमी आई है। चावल के उत्पादन में बढ़ोतरी होने की संभावना है हालांकि चावल की कीमतों के स्थिर होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इसकी वजह यह है कि मांग बहुत ज्यादा है और निर्यात के लिए आपूर्ति कम हुई है।
वर्ष 2009 में गेहूं के उत्पादन में 65.5 करोड़ टन के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है जो पिछले साल के 68.3 करोड़ टन के उत्पादन के मुकाबले 4 फीसदी कम है। इस कमी की एक वजह यह भी है कि यूरोप और अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय कीमतों में कमी आने की वजह से रिटर्न में गिरावट की आशंका के मद्देनजर इन फसलों के रकबे में कमी की गई है।
मोटे अनाजों का उत्पादन पिछले साल के 114.2 करोड़ टन के मुकाबले 4.3 फीसदी की कमी के साथ 109.3 करोड़ टन होने की उम्मीद है। रिर्पोट का कहना है, 'अफ्रीका एक ऐसा क्षेत्र है जहां उत्पादन में बढ़ोतरी हो रही है। पिछले साल उत्तरी अफ्रीका में सूखे के बाद सुधार की स्थिति नजर आई।'
वर्ष 2009 में चावल का उत्पादन 46 करोड़ टन हुआ जो वर्ष 2008 के 45.9 करोड़ टन के उत्पादन से थोड़ा ज्यादा है। यह अनुमान सामान्य मानसून की बारिश पर आधारित है। सरकार ने चावल उत्पादक कुछ बड़े देशों में चावल की खेती के लिए कुछ समर्थन देने की कवायद शुरू की है इसके लिए चावल उत्पादकों को सब्सिडी पर इनपुट मुहैया करा रही है।
दुनिया भर में कुल अनाज का भंडार वर्ष 2010 के फसल वर्ष में लगभग 51.8 करोड़ टन होगा। इसके साथ ही दुनिया भर में गेहूं और चावल के भंडार में बढ़ोतरी की संभावना जताई जा रही है लेकिन मोटे अनाज के उत्पादन में गिरावट के आसार हैं। खासतौर पर अमेरिका के उत्पादन में गिरावट का अनुमान है। (BS Hindi)
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