नई दिल्ली July 14, 2009
गैर बासमती चावल के निर्यातकों की पूरी उम्मीद अब मानसून पर टिक गयी है।
अच्छी बारिश के बाद ही सरकार उन्हें 10 लाख टन चावल निर्यात की इजाजत दे सकती है। हालांकि गत 9 जुलाई तक देश भर में सामान्य के मुकाबले अब भी 34 फीसदी कम बारिश हुई है।
वहीं चावल के मुख्य उत्पादक क्षेत्र पंजाब, हरियाणा व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 9 जुलाई तक सामान्य से 50 फीसदी कम बारिश दर्ज की गयी है। चावल उत्पादक के अन्य इलाके पूर्वी उत्तर प्रदेश एवं बिहार में भी 1 जून से 9 जुलाई तक सामान्य से 35 फीसदी कम बरसात हुई।
चावल निर्यातकों के मुताबिक 2008 जनवरी से इस साल के जून तक अफ्रीकी देशों को 10.5 लाख टन गैर बासमती चावल का निर्यात किया गया। लेकिन इस निर्यात में निजी निर्यातकों की कोई हिस्सेदारी नहीं रही और तमाम निर्यात सरकारी एजेंसियों के माध्यम से किया गया।
सरकार के फैसले के मुताबिक 10 लाख टन गैर बासमती चावल का निर्यात अभी किया जाना है। और निजी निर्यातक इसमें अपनी पूरी हिस्सेदारी चाहते हैं। ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने बताया कि इस संबंध में सरकारी नुमाइंदों से बात की गयी है और बारिश के सामान्य रहने पर उन्हें निर्यात करने का मौका मिल सकता है।
लेकिन जुलाई माह के अंत तक बारिश सामान्य नहीं हुई तो निर्यात करने की उनकी उम्मीद पर पानी फिर सकता है। क्योंकि ऐसी स्थिति में सरकार चावल की कीमत में बढ़ोतरी के डर से इसके निर्यात की इजाजत नहीं देगी।
हालांकि चावल के दो बड़े उत्पादक राज्य पंजाब व हरियाणा की 95 फीसदी से अधिक जमीन सिंचाई की सुविधा से लैस है। लेकिन बिहार व पूर्वी उत्तर प्रदेश जैसे चावल उत्पादक राज्यों में 60 फीसदी से भी कम जमीन के लिए सिंचाई की सुविधा है। (BS Hindi)
15 जुलाई 2009
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