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20 जुलाई 2009

उप्र में गन्ने पर कीड़ों का हमला

नई दिल्ली 07 19, 2009
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सामान्य के मुकाबले 50 फीसदी से भी कम बारिश के कारण गन्ने की फसल कीड़े की चपेट में आ गयी है।
कीड़े लगने से गन्ने की पैदावार में 25 फीसदी तक की गिरावट की आशंका है। उधर उत्तर प्रदेश की चीनी मिलें दीपावली के बाद ही गन्ने की पेराई करने के मूड में नजर आ रही हैं। चीनी की कमी को देखते हुए सरकार सितंबर मध्य या आखिर तक गन्ने की पेराई शुरू करने पर विचार कर रही है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों ने बताया कि गन्ने की फसल पर कंसवा (किसानों की बोली में) नामक कीड़े लग गये हैं। नमी के अभाव में लगने वाले ये कीड़े पौधों के बीच वाले भाग को खा जाते हैं। इससे पौधों का विकास नहीं हो पाता है।
किसानों के मुताबिक कंसवा को मारने की कोई दवा भी नहीं है और तेज बारिश ही इसका इलाज है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गत 8 जुलाई तक सामान्य के मुकाबले 60 फीसदी से भी कम बारिश हुई है। मोदीनगर के किसान हरिंदर नेहरा बताते हैं कि किसान बारिश की कमी को पूरा करने के लिए बहुत अधिक पानी देने में भी सक्षम नहीं है।
पिछले साल के 14 घंटों के मुकाबले इस साल महज 2-3 घंटों के लिए बिजली की आपूर्ति की जा रही है। बोरिंग के जरिये एक बीघा खेत में पानी पटाने पर 150-160 रुपये का खर्च आता है। इस खर्च का वहन करना छोटे किसानों के सामर्थ्य से बाहर है।
छह एकड़ में गन्ने की खेती करने वाले नेहरा कहते हैं, 'पिछले साल 800 क्विंटल गन्ने की पैदावार थी जो कि कीड़े की वजह से घटकर 600 क्विंटल रह जायेगी।' किसानों के मुताबिक जून-जुलाई में बारिश के अभाव से गन्ने में रस की मात्रा पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता है। क्योंकि अगस्त के आखिर या सितंबर के शुरू में अच्छी बारिश हो जाती है तो गन्ने में रस की कमी नहीं रहेगी।
सहारनपुर स्थित दया शुगर के सलाहकार डीके शर्मा कहते हैं, 'सितंबर माह में गन्ने की पेराई किसी भी कीमत पर नहीं हो सकती है क्योंकि इस समय रिकवरी 6 फीसदी से अधिक नहीं होगी। जो कि राष्ट्रीय नुकसान है। 15-20 अक्टूबर के समय भी रिकवरी 8.5 फीसदी के आसपास होती है और बाद में यह बढ़कर 9-9.5 तक पहुंचती है।'
चीनी मिलों के मुताबिक इस साल भी पिछले साल की तरह फरवरी आखिर या मार्च के पहले सप्ताह तक ही मिलें चलेंगी। उत्तर प्रदेश में पिछले साल के मुकाबले 10-12 फीसदी गन्ने की खेती में कमी आयी है। (BS Hindi)

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