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11 जुलाई 2009

मानसून की कमी से कृषि जिंसों में तेजी

नई दिल्ली July 10, 2009
नैशनल कमोडिटीज ऐंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) में कारोबार पिछले कुछ दिनों में तेजी से बढ़ा है।
बढ़त की प्रमुख वजह कृषि जिंसों की खरीद है, जिसके खरीफ के उत्पादन में इस साल गिरावट का अनुमान लगाया जा रहा है। बजट के बाद से एनसीडीएक्स में कारोबार का औसत (6 से 8 जुलाई) बजट के पहले के तीन दिन (1 से 3 जुलाई) के औसत की तुलना में 50 प्रतिशत उछला है, जो बढ़कर 2380 करोड़ रुपये हो गया है।
कारोबार में बढ़ोतरी सरकार की उस घोषणा के साथ-साथ हुई है जिसमें सरकार ने कमोडिटी ट्रांजैक् शन टैक्स (सीटीटी) हटाने की घोषणा की थी। पिछले बजट में इस कर को लगाने की घोषणा की गई थी, लेकिन कमोडिटी एक्सचेंजों के विरोध के चलते इसे लागू नहीं किया जा सका।
एक्सचेंज के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनविस ने कहा, 'इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि खरीफ की फसल के लिए पर्याप्त बारिश नहीं हुई, जिसके चलते फसलों के उत्पादन में गिरावट आ सकती है क्योंकि बुआई का काम देरी से शुरू हुआ। इसके चलते इस बात को बल मिला कि भविष्य में अनाजों की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है और ज्यादातर लोगों ने कारोबार में हिस्सा लिया।'
उन्होंने कहा कि चना, ग्वारसीड, सोयाबीन और सोयातेल के उत्पान पर खास असर पड़ सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि सीटीटी के हटाए जाने से भी आंशिक रूप से सोच पर असर पड़ा। उन्होंने कहा, 'हाल के दिनों में यह भय था कि सीटीटी कार्यरूप ले लेगा, लेकिन अब निवेशक इस मामले में स्पष्ट हैं। यही वजह है कि बाजार धारणा में सुधार हुआ।'
मानसूनी बारिश का प्रभाव धान और दालों की खड़ी फसल के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। सरकार ने 24 जून को कहा था कि बरसात सामान्य से कम रहेगी। 2009 में मानसूनी बारिश लंबे समय के औसत 93 प्रतिशत के बराबर रहेगी, जबकि इसके पहले 96 प्रतिशत बारिश की भविष्यवाणी की गई थी।
अमेरिका के कृषि विभाग ने भी भारत की खरीफ की फसल के उत्पादन को लेकर चेतावनी दी थी। विभाग ने कहा था कि मानसून में हो रही धीमी बढ़ोतरी और मानसून सीजन की पहली तिमाही में कमजोर प्रदर्शन भारत की सरकार और यहां के किसानों के लिए चिंता का विषय है।
एनसीडीईएक्स में कारोबार
1 जुलाई 1820.102 जुलाई 1574.613 जुलाई 1364.936 जुलाई 2113.637 जुलाई 2439.868 जुलाई 2587.42(*करोड़ रुपये में) (BS Hindi)

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