नई दिल्ली July 10, 2009
तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) को पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर घाटा क्रमश: 50 और 85 प्रतिशत कम होने के आसार हैं, क्योंकि कच्चे तेल की कीमतों में लगातार कमी आ रही है।
भारतीय बास्केट के कच्चे तेल की औसत कीमत इस माह के दौरान 64.70 डॉलर प्रति बैरल रही, जो जून में 69.12 डॉलर प्रति बैरल के औसत से 6.4 प्रतिशत कम है। बहरहाल ये कीमतें चालू साल के औसत मूल्य 60 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा हैं। वहीं पिछले वित्त वर्ष में तेल की औसत कीमतें 83.57 डॉलर प्रति बैरल रही थीं।
तेल विपणन कंपनियों को इश समय पेट्रोल पर 2.48 रुपये प्रति लीटर और डीजल के दाम पर 1.83 रुपये प्रति लीटर का नुकसान उठाना पड़ रहा है। यह नुकसान पिछले महीने में पेट्रोल की कीमतों में 4 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमतें 2 रुपये प्रति लीटर बढ़ाए जाने के बाद है।
ओएमसी केएक अधिकारी ने कहा कि उम्मीद है कि पेट्रोल पर नुकसान कम होकर 1.23 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर नुकसान कम होकर अगले पखवाड़े में 0.27 रुपये प्रति लीटर रह जाएगा। इंटरनैशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए) ने आज जुलाई की ऑयल मार्केट रिपोर्ट जारी की, जिसमें कहा गया है कि भारत में कच्चे तेल की मांग में मंदी के बावजूद 3.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।
सालाना आधार पर 2010 में तेल की वैश्विक मांग में 1.7 प्रतिशत या 14 लाख बैरल प्रतिदिन की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। आईईए ने कहा कि इसमें उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों की अहम भूमिका होगी। एजेंसी को उम्मीद है कि इस साल के 838 लाख बीपीडी की तुलना में अगले साल मांग बढ़कर 852 लाख बीपीडी हो जाएगी। उसने कहा है कि इस साल मांग में कोई खास बदलाव नहीं आएगा।
तेल की कीमतों में चार महीनों की तुलना जून के मध्य से की गई है। आर्थिक सुधार की उम्मीद के साथ साल की पहली छमाही के दौरान तेल की आपूर्ति कम रहने और मांग बनी रहने का रुख रहा। बहरहाल इस समय कीमतों में बढ़ोतरी विपरीत दिशा पकड़ चुकी है।
जुलाई की शुरुआत से कच्चे तेल की कीमतें 8 सप्ताह के न्यूनतम स्तर 60 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंत गईं। आईईए ने कहा है कि आर्थिक स्थिति में सुधार आने के बावजूद तेल के ज्यादा स्टॉक और मांग में कमी के चलते कीमतों में गिरावट आई है। (BS Hindi)
11 जुलाई 2009
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