कोच्चि September 25, 2009
प्राकृतिक रबर के स्थानीय और वैश्विक कीमतों में भारी अंतर अब धीरे-धीरे कम हो रहा है। इसकी प्रमुख वजह यह है कि अस्थायी रूप से भारत के बाजारों में रबर के आयात में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
आरएसएस-4 ग्रेड रबर की कोच्चि बाजार में कीमतें बुधवार को 106.50 रुपये प्रति किलो रहीं, जबकि रबर की यही किस्म अंतरराष्ट्रीय बाजारों में 105.75 रुपये प्रति किलो रही। इस साल अप्रैल-अगस्त के दौरान रबर की घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कीमतों में भारी अंतर की वजह से बड़े पैमाने पर आयात हुआ।
5 महीनों के दौरान कुल 98,946 टन रबर का आयात हुआ, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 27,722 टन रबर का आयात हुआ था। 18 सितंबर तक रबर का कुल आयात 107,800 टन रहा था। अप्रैल जुलाई के दौरान कीमतों में भारी अंतर ही आयात में बढ़ोतरी की प्रमुख वजह रही। कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से रबर का आयात बढ़कर तीन गुना हो गया।
अप्रैल महीने में घरेलू कीमतों का औसत 95 रुपये रहा जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में औसत कीमतें 81 रुपये प्रति किलो रहीं। इसी तरह से मई महीने में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें 98 और 83 रुपये तथा जून महीने में कीमतें क्रमश: 99 और 81 रुपये प्रति किलो रहीं।
जुलाई महीने में कोच्चि में औसत कीमतें 98 रुपये और वैश्विक औसत कीमतें 85 रुपये किलो रहीं। अगस्त महीने से कीमतों में अंतर घटने लगा और अब यह अंतर घटकर महज 0.75 रुपये प्रति किलो रह गया है, जो आयात के लिहाज से बेहतर नहीं है।
बहरहाल एसएमआर-20 किस्म की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़कर 100 रुपये प्रति किलो हो गई हैं, वहीं स्थानीय बाजारों में यह 96 रुपये प्रति किलो के हिसाब से उपलब्ध है। एसएमआर-20 किस्म की रबर का बड़े पैमाने पर आयात की प्रमुख वजह यह रही कि पहले अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें स्थानीय बाजार की तुलना में कम थीं और आयात सस्ता पड़ रहा था।
अब स्थिति बदलने पर उद्योग जगत के लिए आयात बेहतर नहीं रह गया है। रबर उद्योग सामान्यतया अग्रिम लाइसेंस योजना के अंतर्गत शुल्क मुक्त आयात करता है। रबर आधारित उद्योगों को करीब 125,000 टन सालाना रबर का शुल्क मुक्त आयात करने की सुविधा है। इसका 90 प्रतिशत उपयोग पहले ही किया जा चुका है।
अब विकल्प यह है कि कुल आयात का करीब 20 प्रतिशत आयात ही शुल्क मुक्त आयात की सुविधा के तहत किया जा सकता है। लेकिन कीमतों के वर्तमान स्तर पर यह आयात करना भी सुविधाजनक नहीं है। इसे देखते हुए रबर उत्पादक इस साल आयात में बढ़ोतरी की संभावना नहीं देख रहे हैं।
केरल में रबर उत्पादन का मौसम महज 2 सप्ताह बाद शुरू होने जा रहा है और उम्मीद की जा रही है कि अक्टूबर-दिसंबर के दौरान कीमतों में और गिरावट आएगी। इस महीने के दौरान कुल उत्पादन का करीब 45 प्रतिशत उत्पादन होता है। आपूर्ति बढ़ने के साथ कीमतों में गिरावट के अनुमान हैं। यह भी कहा जा रहा है कि उद्योग जगत कीमतों में गिरावट के इंतजार में धीमी खरीद करेगा।
इस समय कंपनियों के पास पर्याप्त भंडार है, जिसकी वजह से वे मुख्य उत्पादन सत्र में बहुत ज्यादा खरीदारी करने के मूड में नहीं हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में बढ़ोतरी और घरेलू उत्पादन बढ़ने से उम्मीद की जा रही है कि आयात में कमी आएगी।
घट गया कीमतों में अंतर
माह घरेलू अंतरराष्ट्रीय अप्रैल 95 81मई 98 83जून 99 81जुलाई 98 85अगस्त 106।50 105.75कीमतें रुपये प्रति किलो में (बीएस हिन्दी)
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