19 सितंबर 2009
सस्ती मटर की मिलावट दाल व बेसन में
यह बड़ा अजीब है कि देश में आयात होने वाली दलहनों में सबसे ज्यादा आयात मटर खासकर कनाडा की पीली मटर का होता है। इसका आशय हुआ कि देश में उपभोक्ता की पसंद में मटर सबसे ऊपर होनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं है। मटर का आयात भले ही सबसे ज्यादा होता तो लेकिन उपभोक्ता इसका उपयोग मटर के रूप में नहीं बल्कि दूसरी महंगी दाल जैसे अरहर और बेसन (चना दाल से बनने वाले) के नाम पर कर रहे हैं। काफी सस्ते दाम होने के कारण मटर व्यापारियों के लिए मिलावट के लिए सबसे पसंदीदा दाल बन गई है।कारोबारी सूत्रों के अनुसार देश में कुल दलहन आयात में करीब 40-50 फीसदी मटर का आयात होता है। अरहर और बेसन में मिलावट के लिए उपयुक्त होने के कारण कनाडा की पीली मटर सबसे ज्यादा पसंद की जा रही है। चना और अरहर दाल में रिकॉर्ड तेजी से बेसन तथा अरहर दाल में सफेद और पीली मटर दाल की मिलावट बढ़ गई है। व्यापारियों की मानें तो बीस फीसदी सफेद मटर बेसन बनाने में खप रहा है। नमकीन बनाने में भी सफेद मटर के बेसन का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि सफेद मटर के थोक भाव इस समय देशभर में 1400 से 1600 रुपये क्विंटल के बीच हैं। वहीं चना 2200 से 2300 रुपये जबकि बेसन के भाव 3300 रुपये क्विंटल तक है। इस कारण मोटा मुनाफा कमाने के फेर में उत्पादक बेसन बनाने में चने के साथ करीब बीस फीसदी सफेद मटर का उपयोग कर रहें हैं। सफेद मटर की मिलावट से बने बेसन की सबसे ज्यादा खपत नमकीन इकाइयों में हो रही है। मुंबई में सफेद मटर का कारोबार करने वाले श्रीनाथ डंगायच का कहना है कि दलहन के लिए नया सीजन अक्टूबर से शुरू होता है। इस लिहाज से तीस सितंबर को समाप्त होने वाले सीजन में देश में करीब साढ़े छह से सात लाख मटर का आयात होने का अनुमान है। इस समय मटर का आयात कनाडा से किया जा रहा है। यूक्रेन से भी कुछ मात्रा में मटर का आयात किया गया है। मुंबई में मटर के भाव बुधवार को 1411 रुपये क्विंटल दर्ज किए गए है।वहीं राजस्थान समेत दूसर राज्यों में मटर के भाव 1550 से 1600 रुपये क्विंटल के बीच चल रहे हैं। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र में सख्ती और छापेमारी से घबराकर व्यापारी सफेद मटर का स्टॉक निकालने में लगे हैं। इस कारण सप्ताह भर पहले 1650 रुपये क्विंटल बिकने वाले मटर के भाव घटकर अब 1400 रुपये रह गए हैं। जयपुर के थोक व्यापारी श्याम नाटाणी का कहना है कि बेसन इकाइयां ज्यादा मुनाफा के फेर में चने के साथ मटर को मिलाकर बेसन तैयार कर रही है। हालांकि बेसन बनाने के लिए अस्सी फीसदी चना तथा बीस फीसदी मटर का उपयोग हो रहा है। वहीं नमकीन के छोटे पाउच उत्पादकों की मांग पर कई इकाइयां मटर का ही बेसन बना रही है। मटर के दूसर सबसे बड़े खरीदार सड़क किनार चलने वाले ढाबे भी हैं। वहीं जयपुर के एक अन्य व्यापारी ने बताया कि कुछ दलहन थोक व्यापारी अरहर की दाल में भी मटर का उपयोग करने रहे हैं। यह बड़ा दिलचस्प है कि सरकार के निर्देश पर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां एमएमटीसी, पीईसी, नेफेड भी दालों में सबसे ज्यादा मटर आयात कर रही हैं। यह मटर व्यापारियों को थोक में बेची जाती है। लेकिन इस मटर की फुटकर बिक्री मटर के नाम पर कम ही होती है। बल्कि मिलावट के बाद दूसरी दालों या दाल उत्पादों के नाम पर हो रही है। जानकारों के मुताबिक चूंकि मटर खाने योग्य है। इसलिए सरकार भी अरहर में सफेद मटर की मिलावट करने वालों के खिलाफ सख्त नहीं है। इसका थोक व्यापारी फायदा उठा रहे हैं। हालांकि चोरी-छिपे मटर की मिलावट उपभोक्ताओं के साथ धोखा ही है। (बिज़नस भास्कर)
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