कमोडिटी मार्केट रेगुलेटर फॉरवर्ड मार्केट कमीशन को ज्यादा अधिकार मिलने में समय लग सकता है। वित्त मंत्रालय ने फिर से इस मामले में एतराज जताया है। ऐसे में संसद के अगले सत्र में FMC को ज्यादा अधिकार देने से जुड़ा बिल नहीं आ पाएगा।
कमोडिटी मार्केट में लगातार बढ़ते कारोबार के बीच रेग्यूलेटर फॉरवर्ड मार्केट कमीशन यानी एफएमसी अधिकार बढ़ाए जाने की मांग करता रहा है।
कमीशन का कहना है कि बाजार में गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए उसके पास अधिकार नहीं है। लेकिन इस मामले में अभी तक सहमति नहीं बन पायी है।
सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने फिर से एफएमसी को सेबी के तहत लाए जाने की वकालत की है। वित्त मंत्रालय की राय है कि स्टॉक मार्केट रेग्युलेटर ही कमोडिटी मार्केट पर भी नजर रखे।
अब संसद के अगले सत्र में फॉरवर्ड कान्ट्रैक्ट रेग्युलेशन एक्ट में फेरबदल का बिल आना मुश्किल लग रहा है। ये बिल पिछले साल मार्च में लोकसभा में पेश हुआ था। लेकिन पिछली लोकसभा भंग होने के बाद इस बिल को फिर से पेश करना होगा।
अभी कमोडिटी बाजार को नियमित करने के लिए एफएमसी ज्यादा से ज्यादा ओपन इंटरेस्ट की लिमिट बढ़ा सकता है, या फिर कीमतों में उतार-चढ़ाव की सीमा तय कर सकता है।
जानकारों का कहना है कि कमोडिटी मार्केट में कारोबार को देखते हुए FMC को सेबी की ही तरह गलत जुर्माना लगाने जैसे अधिकार होने चाहिए।
सूत्रों का कहना है कि अगर PMO दखल देता है तो बिल को जल्द पेश किए जाने का रास्ता खुल सकता है। उम्मीद है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद कृषि मंत्री शरद पवार प्रधानमंत्री के साथ नए सिरे से इस मामले को उठाएंगे।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की राय है कि चूंकि स्टॉक मार्केट और कमोडिटी मार्केट में अलग-अलग तरीके के कारोबार होते हैं, इसीलिए रेग्यूलेटर भी अलग-अलग होने चाहिए। (आवाज कारोबार)
26 सितंबर 2009
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