नेचुरल रबर के प्रमुख उत्पादक राज्य केरल में प्रतिकूल मौसम से उत्पादन घटने की आशंका है। चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में देश में इसके उत्पादन में 13.3 फीसदी की गिरावट आई है जबकि खपत में करीब दो फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। भारत के साथ-साथ विश्व में नेचुरल रबर की खपत में बढ़ोतरी हो रही है। विदेशी बाजार और भारत में नेचुरल रबर के भाव में चल रहा अंतर भी लगभग समाप्त हो गया है। ऐसे में आगामी दिनों में भारत में आयात घट जाएगा। इसलिए आवक का दबाव बनने के बावजूद अक्टूबर महीने में रबर की मौजूदा कीमतों में तेजी आने की संभावना है।
कोच्चि स्थित मैसर्स हरि संस मलयालम लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर पंकज कपूर ने बताया कि प्रतिकूल मौसम से चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से अगस्त के दौरान नेचुरल रबर के उत्पादन में 13.3 फीसदी की कमी आकर कुल उत्पादन 273,575 टन रहा। पिछले साल इस अवधि के दौरान 315,365 टन उत्पादन हुआ था। अक्टूबर से दिसंबर तक कुल फसल का करीब 50 फीसदी उत्पादन होता है लेकिन लगातार बारिश होने से किसानों को टेपिंग में दिक्कत आ रही है। ऐसे में चालू वित्त वर्ष में नेचुरल रबर के कुल उत्पादन में पिछले साल के मुकाबले पांच से सात फीसदी की कमी रह सकती है। रबर बोर्ड के सूत्रों के अनुसार वित्त वर्ष 2008-09 के दौरान देश में 864,500 टन नेचुरल रबर का उत्पादन हुआ था।
रबर मर्चेट एसोसिएशन के सचिव अशोक खुराना ने बताया कि विश्व में आर्थिक स्थिति में सुधार होने से रबर की खपत बढ़ रही है। इसीलिए विदेशी बाजार में रबर के भाव तेज हुए हैं। सिंगापुर कमोडिटी एक्सचेंज (सीकॉम) में मंगलवार को नेचुरल रबर के भाव भारतीय मुद्रा में 102-100 रुपये प्रति किलो हो गए। जबकि 11 अगस्त को इसके भाव 95-96 रुपये प्रति थे। हालांकि अमेरिका द्वारा चीन से टायर खरीद बंद कर देने से पिछले सप्ताह इसकी कीमतों में तीन-चार रुपये प्रति किलो की हल्की गिरावट जरूर आई है। भारत के कोट्टायम में नेचुरल रबर के भाव 106-101 रुपये प्रति किलो चल रहे हैं। मौसम साफ होने के बाद नेचुरल रबर की आवक में बढ़ोतरी होने से मौजूदा भाव में दो-चार रुपये प्रति किलो की गिरावट तो आ सकती है लेकिन खपत में बढ़ोतरी को देखते हुए दिसंबर-जनवरी में इसके भाव 15 से 20 फीसदी तक बढ़ सकते हैं।
रबर बोर्ड के अनुसार चालू वित्त वर्ष के अप्रैल-अगस्त के दौरान देश में नेचुरल रबर की खपत में दो फीसदी का इजाफा होकर कुल खपत 376,350 टन रही। पिछले वर्ष 2008-09 की समान अवधि में खपत 368,690 टन रही थी। चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से अगस्त के दौरान देश में आयात बढ़कर 98,946 टन का हुआ है। पंकज कपूर ने कहा कि भारत के मुकाबले विदेशी बाजार में नेचुरल रबर की कीमतों का अंतर 18-20 रुपये प्रति किलो था। इसीलिए ज्यादातर बड़ी कंपनियां भारी मात्रा में आयात कर रही थीं। लेकिन अब भावों का अंतर मात्र चार रुपये रहने पर अब आयात नहीं होगा। ऐसे में घरेलू बाजार में मांग बढ़ जाएगी।
rana@businessbhaskar.net (बिज़नस भास्कर...र स रना)
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