अहमदाबाद : आर्थिक तंगी में ग्राहकों के खर्च घटाने से सूरत के हीरा उद्योग में जिन लोगों की नौकरियां गई थीं, उन्हें रोशनी की किरण नजर आ रही है। हीरों की खरीदारी एक बार फिर से पटरी पर लौटती नजर आ रही है, जिससे हीरा पॉलिश करने वाले कारीगरों के चेहरे खिल उठे हैं। यह अलग बात है कि उन्हें अब पहले से ज्यादा घंटे काम करना पड़ रहा है। इसके साथ ही उन्हें लंबी त्योहारी छुट्टियों की कुर्बानी भी देनी पड़ रही है। दिसंबर में गांधीनगर जिले के रूपल गांव के किरन पटेल की नौकरी चली गई थी। उनके पास अब नई नौकरी है जिसमें उनका मासिक वेतन 7,000 रुपए है। हीरा पॉलिश करने की इस नौकरी में उन्हें पहले छूटी नौकरी के मुकाबले 1,000 रुपए ज्यादा मिल रहे हैं।
यहां उन्हें बोनस भी मिल रहा है जिससे वह पटाखों और मिठाई पर ज्यादा खर्च कर सकते हैं। पटेल काम के घंटे बढ़ने और इस दीवाली पर आधी छुट्टियां मिलने का कतई विरोध नहीं कर रहे हैं। गौरतलब है कि दुनिया भर की सरकारों ने अपनी अर्थव्यवस्था को महामंदी से बचाने के लिए लाखों करोड़ों डॉलर खर्च कर दिए। इससे आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट की रफ्तार थमी है और ग्राहक बाजार आने लगे हैं। इससे मंदी में बेरोजगार हुए लोगों के लिए रोजगार के नए मौके बन रहे हैं। सूरत डायमंड एसोसिएशन के प्रेसिडेंट रोहित मेहता बताते हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में हीरे की मांग अप्रैल के मुकाबले लगभग 25 फीसदी बढ़ी है। दरअसल, न्यूयार्क और एंटवर्प की दुकानें क्रिसमस पर अमीर ग्राहकों की जेब से अपना हिस्सा निकालने की जुगत में लग गई हैं। इसको देखते हुए गांधीनगर में 'वैकेंसी' के बोर्ड नजर आने लगे हैं। अमेरिका, यूरोप, खाड़ी देश और चीन से ऑर्डर आने लगे हैं लेकिन इस बार 2007-08 के मुकाबले काफी कम होगा। तब कुल 65,000 करोड़ रुपए के जेम्स एंड ज्वेलरी का निर्यात हुआ था, जिसमें 40,000 करोड़ रुपए के हीरे शामिल थे। टीपू जेम्स के एमडी दिनेश नवाडिया कहते हैं, 'पॉलिश्ड हीरों की अच्छी-खासी मांग है। इस बार हमने सिर्फ 15 दिन की छुट्टी देने का फैसला किया है।' पहले कारीगर महीने भर की छुट्टी पर जाया करते थे। बाजार की मौजूदा चाल पिछले साल एक लॉबी ग्रुप की और बिना तराशा हीरा नहीं मंगाने की अपील के उलट है। सूरत में बिना तराशे हीरों को पॉलिश कर विदेश भेजा जाता है। हीरा नहीं मंगाने की अपील की वजह जरूरत से ज्यादा स्टॉक जमा होने से रोकना था। पिछले साल त्योहारी मौसम में हीरा पॉलिश करने वाली सैकड़ों इकाइयां बंद हो गई थीं और कारीगर सड़क पर आ गए थे। जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के मुताबिक, पहले 7 महीने में पॉलिश्ड हीरों का निर्यात 27 फीसदी घटकर 6।7 अरब डॉलर रह गया है। लेकिन, अगस्त में गिरावट की रफ्तार घटकर 24 फीसदी रह गई। पॉलिश्ड हीरों की मांग घटने के चलते जनवरी से जुलाई के बीच बिना तराशे हीरों का आयात 52 फीसदी घटकर 3 अरब डॉलर रह गया। नौकरियां मिलने से कारीगर अब घर पर कम और काम पर ज्यादा वक्त बिताने से गुरेज नहीं कर रहे। पटेल जैसे लोग अब 5 बजे सुबह से शाम 8 बजे तक 15 घंटे काम कर रहे हैं। लीमैन ब्रदर्स के दिवालिया होने के चलते नौकरियों पर आफत आने से पहले तक वे 8 बजे सुबह से शाम 8 बजे तक 12 घंटे काम करते थे। नवाडिया बताते हैं, 'कारीगरों को पिछले साल काफी तकलीफ उठानी पड़ी। इसलिए इस साल वे कम छुट्टियों पर खुशी-खुशी राजी हो गए हैं।' (ई टी हिन्दी)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें