नई दिल्ली September 16, 2009
उत्तर प्रदेश में गन्ने का सरकारी मूल्य अब तक घोषित नहीं किए जाने से किसानों में असमंजस की स्थिति है।
किसानों को इस बात की चिंता सता रही है कि मिलों में गन्ने की आपूर्ति शुरू करने के बाद राज्य सरकार उनकी उम्मीद से कम मूल्य निर्धारित करती है तो उन्हें कोई खास लाभ नहीं मिलेगा।
किसानों को इस साल कम से कम राज्य सरकार से 200 रुपये प्रति क्विंटल के मूल्य तय होने की उम्मीद है। क्योंकि चीनी की कीमत पिछले साल के मुकाबले दोगुनी हो चुकी है। पिछले साल उत्तर प्रदेश सरकार ने गन्ना आपूर्ति के लिए 140-145 रुपये प्रति क्विंटल की दर तय की थी।
बाद में गन्ने की कमी होने पर मिल वालों ने किसानों को इस मूल्य के अलावा 20-25 रुपये प्रति क्विंटल का भुगतान किया था। उधर सहारनपुर एवं बिजनौर जैसे इलाकों में खंडसारी गन्ना किसानों को 250 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत देकर अपनी बुकिंग कराना चाहते हैं। उत्तर प्रदेश चीनी मिल संघ ने सरकार से गुड़ निर्माण यूनिट में होने वाली गन्ना पेराई पर आगामी 15 जनवरी तक रोक लगाने की मांग की है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों ने बताया कि इस साल गन्ने का उत्पादन कम है। और सरकार भी इस बात को मान चुकी है। ऐसे में उन्हें अच्छी कीमत नहीं मिलने पर वे विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं। लेकिन ऐसा तभी संभव है जब पेराई शुरू होने के पहले राज्य सरकार गन्ने के मूल्य का निर्धारण कर दे।
मिलों में गन्ने की आपूर्ति शुरू होने के बाद कम कीमत तय होने पर भी वे आपूर्ति देने के लिए मजबूर होंगे। किसानों ने बताया कि वे जनवरी तक खेतों में गन्ने को रख सकते हैं। क्योंकि अच्छी कीमत मिलने पर गेहूं या सरसों की बुआई नहीं करने की स्थिति में भी उनका कोई नुकसान नहीं होगा।
मोदी नगर इलाके के किसान हरेंद्र नेहरा क हते हैं कि पिछले साल पेराई आरंभ होने के दौरान चीनी की कीमत 15-16 रुपये प्रति किलोग्राम थी जबकि इस साल यह कीमत 30-32 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर है। ऐसे में सरकार को गन्ने की कीमत भी दोगुनी कर देनी चाहिए।
उन्होंने बताया कि पिछले साल किसानों ने पेराई शुरू करने के लिए आंदोलन किया था, धरना दिया था। ताकि उनके खेत खाली हो और वे दूसरी फसल की बुआई कर सके। लेकिन इस साल किसान किसी प्रकार की जल्दीबाजी में नहीं है।
गन्ना किसानों का कहना है कि सरकार कीमत में बहुत अधिक इजाफा नहीं करती है फिर भी मिल वाले गन्ने की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए उन्हें अतिरिक्त भुगतान हर हाल में करेंगे। उत्तर प्रदेश में गन्ना उत्पादन में इस साल पिछले साल के मुकाबले 15 फीसदी की गिरावट की आशंका है।
पिछले साल उत्तर प्रदेश में 21 लाख हेक्टेयर जमीन पर गन्ने की खेती की गयी थी जो इस साल घटकर लगभग 18 लाख हेक्टयर रह गयी है। (बीएस हिन्दी)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें