लखनऊ September 19, 2009
अपने आखिरी समय यानी सितंबर में मॉनसून ने भले ही अपना रंग दिखाना शुरू किया है, लेकिन इससे उत्तर प्रदेश के किसानों को कोई खास फायदा होता नजर नहीं आ रहा है।
सूखे के चलते खरीफ की फसल के पिछले साल के मुकाबले घटकर आधा रह जाने की आशंकाओं के बीच राज्य सरकार ने कें द्र से तुरंत आर्थिक सहायता की मांग की है। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव अतुल कुमार गुप्ता ने एक पत्र भेज कर केंद्र सरकार से 1194 करोड़ रुपये की मांग की है।
यह मांग सूखा राहत के मद के तहत की गई है, जो केंद्र से इससे पूर्व मांगी गई 8,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त है। राज्य सरकार ने केंद्र से यह मदद कृषि निवेश अनुदान, सूखे से प्रभावित लोगों के लिए राहत सहायता, पेयजल आपूर्ति, सूखे से पशुओं में हो रही बीमारियों की रोकथाम के लिए टीकाकरण और दवाओं के लिए मांगी है। इसमें से अकेले 613.41 करोड़ रुपये की मांग कृषि निवेश अनुदान के तहत की गई है।
उत्तर प्देश के राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव गोविंदन नायर के मुताबिक अगस्त में सूखे से निपटने के लिए केंद्र सरकार से 7789.14 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की मांग की गयी थी, जिसके बाद स्थिति का जायजा लेने के लिए केंद्रीय दल ने सूबे के दो दर्जन जिलों का दौरा किया था। केंद्रीय दल ने भी राज्य में सूखे की वजह से पैदा हुए गंभीर हालत पर चिंता जाहिर की थी।
कृषि विभाग के एक आकलन के मुताबिक इस बार उत्तर प्रदेश में खरीफ का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले घटकर आधा रह जाने की आशंका है। पिछले साल के 163.49 लाख टन के मुकाबले इस साल खरीफ का उत्पादन 83.02 लाख टन ही रह सकता है।
धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, उर्द, मूंग, अरहर, मूंगफली, तिल और सोयाबीन के उत्पादन में भारी कमी आने की बात कही गई है। सूखे का सबसे ज्यादा धान की फसल प्रभावित होगी और इस वजह से उत्पादन में 50 फीसदी की कमी का अंदेशा व्यक्त किया जा रहा है।
पिछले साल 60।12 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुआई हुई थी और कुल उत्पादन 130.51 लाख टन रहा था, जबकि इस साल अब तक 45 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुआई होने की खबर है। कृषि विभाग का कहना है कि हो सकता है आने वाले दिनों में उत्पादन में 10 से 15 फीसदी का सुधार हो जाए पर स्थिति में खास परिवर्तन होने की गुंजाइश कम ही है। (बीएस हिन्दी)
21 सितंबर 2009
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