22 सितंबर 2009
रबी में उन्नत बीज के जरिये पैदावार बढ़ाने की कवायद
देश में मानसून की विफलता ने खरीफ की फसल को जो नुकसान पहुंचाया है, उसकी भरपाई रबी की फसलों से करने के लिए सरकार ने तैयारियां तेज कर दी हैं। रबी की प्रमुख फसल गेहूं की पैदावार बढ़ाने के उद्देश्य से जहां, एक ओर सरकार गेहूं का रकबा बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है, वहीं दूसरी ओर सरकार की कोशिश है कि किसान उन्नत किस्मों के बीज इस्तेमाल करें। गेहूं की पैदावार बढ़ाने के लिए आवश्यक है कि किसान अपने पिछले साल के गेहूं को बीज में इस्तेमाल करने के बजाय नए उन्नत बीज इस्तेमाल करें। गेहूं के बीज बदलने की दर (सीड रिप्लेसमेंट रेट-एसआरआर) को बढ़ाए जाने की जरूरत महसूस की जा रही है। असल में देश में गेहूं के मामले में सीड रिप्सेसमेंट रेट सबसे कम है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर गेहूं की सीड रिप्सेसमेंट रेट करीब 13 फीसदी है जबकि धान में 19 फीसदी, मक्के में 24 फीसदी और ज्वार में 27 फीसदी रेट है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक डॉ। मंगला राय का कहना है कि किसानों तक आने वाले रबी सीजन में गेहूं के उन्नत बीज को किसानों तक पहुंचाना बेहद जरूरी है। बिहार और मध्य प्रदेश में 50 से 60 फीसदी किसान पिछले फसल से बचाए गेहूं को बीज के तौर पर इस्तेमाल करते हैं जबकि पंजाब और हरियाणा के करीब 28-30 फीसदी किसान ही पुराने बीज उपयोग में लाते हैं। इसका सीधा असर गेहूं के उत्पादन पर होता है। करनाल स्थित गेहूं अनुसंधान निदेशालय (डीडब्ल्यूआर) के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. एस. एस. सिंह का कहना है कि उन्नत किस्म के बीजों से गेहूं की पैदावार में 25 से 30 फीसदी बढ़ोतरी की जा सकती है। आने वाले रबी सीजन में डीडब्ल्यूआर देश के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र के लिए गेहूं की किस्म डीबीडब्ल्यू-17 और पीबीडब्ल्यू-550 को उपयोग में लाने की सलाह दे रही है। डीडब्ल्यूआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रणधीर सिंह का कहना है कि संस्थान किसान मेलों और कृषि प्रसार सेवाओं के जरिए जागरूकता फैलाने का काम कर रही है। डॉ. सिंह का कहना है कि खरीफ की विफलता के बाद किसान भी गेहूं के उन्नत बीज चाहते हैं और इसके लिए उनसे किसानों से संपर्क भी शुरू कर दिया है। (बिज़नस भास्कर)
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