नई दिल्ली September 28, 2009
देश में मौजूदा वित्त वर्ष में सोयाबीन का उत्पादन कम-से-कम 95 लाख टन रहने का अनुमान है। यदि मौसम ठीक-ठाक रहा तो यह पिछले वर्ष के 1 करोड़ टन के स्तर को भी छू सकता है।
बहुत खराब स्थिति में भी उत्पादन 90 लाख टन से कम रहने की संभावना नहीं है। फसल की अनुकूलता के लिहाज से प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में अच्छी बारिश होती है, तो यह एक करोड़ टन तक भी पहुंच सकता है।
सूत्रों ने कहा, प्रमुख उत्पादक राज्यों से प्राप्त जानकारी के हिसाब से अगर मौसम अनुकूल रहा तो उत्पादन 1 करोड़ टन भी हो सकता है। क्षेत्रफल बढ़िया होने के कारण 95 लाख टन का लक्ष्य संभावित लक्ष्य जान पड़ता है। देश के लगभग आधे हिस्से में सूखे के कारण मूंगफली के क्षेत्रफल में कमी आई है और इसका उत्पादन कम हो सकता है। इसलिए बहुत सारी उम्मीदें सोयाबीन पर टिकी हुई है।
तिलहन उद्योग के अनुमान के अनुसार, सोयाबीन फसल का क्षेत्रफल 96.70 लाख हेक्टेयर है, जो पिछले साल 96.24 लाख हेक्टेयर था। तिलहन उद्योग का सोयाबीन खेती के क्षेत्रफल के बारे में अनुमान हालांकि सरकार के 94.96 लाख हेक्टेयर से अधिक है।
सोयाबीन प्रसंस्करण संघ सोपा के समन्वयक राजेश अग्रवाल के अनुसार, देर से हुई बरसात मध्य प्रदेश में सोयाबीन के लिए बेहतर साबित हुई है। सोपा 30 सितंबर को सोयाबीन उत्पादन के बारे में अपने अनुमान के साथ सामने आएगा। (बीएस हिन्दी)
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