मेरठ/मुजफ्फरनगर September 19, 2009
देश के दूसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश के 70 लाख से ज्यादा गन्ना किसान गन्ने की फसल की कटाई एक सप्ताह बाद शुरू करने जा रहे हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों- मेरठ, मुजफ्फरनगर के किसान, जहां बजाज हिंदुस्तान और त्रिवेणी इंजीनियरिंग जैसी कंपनियों की चीनी मिलें हैं, गन्ने के दाम में बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं। इन इलाकों के किसानों का कहना है कि गन्ने की कीमत 200 रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा होनी चाहिए, जो पिछले साल के 140 रुपये क्विंटल से करीब 40 प्रतिशत ज्यादा है।
चीनी की कीमतों में तेज बढ़ोतरी की वजह से त्रिवेणी की खतौली मिल, धामपुर की मंसूरपुर मिल और डीसीएम श्रीराम की दौराला मिल के आस पास गन्ने की खेती में 30 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
उम्मीद की जा रही है कि राज्य सरकार अगले महीने गन्ने की कीमत तय करेगी। बहरहाल, किसानों के संगठन किसान मजदूर संगठन ने गन्ने के दाम 280 रुपये प्रति क्विंटल किए जाने की मांग की है। दिलचस्प है कि गुड़ उत्पादन वाले इस इलाके में कुछ खांडसारी इकाइयों ने पहले ही पेराई शुरू कर दी है और वे गन्ने का भुगतान 220-230 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से कर रहे हैं।
गुड़ की कीमतें ज्यादा होने की वजह से तमाम और गुड़ इकाइयां खुल रही हैं और इन इकाइयों में गन्ना जाने की वजह से चीनी मिलों को संकट का सामना करना पड़ सकता है। उद्योग जगत के जानकारों का कहना है कि मिलों को एक अलग तरह के मूल्य युध्द का सामना करना पड़ेगा।
मुजफ्फरनगर के मुबारकपुर थिंगई के किसान सतीश चंद्र ने कहा, 'गुण उत्पादक हमें 230 रुपये क्विंटल के भाव से गन्ने का दाम अग्रिम भुगतान करने को तैयार हैं। त्योहार आने को है और मिलें अक्टूबर के मध्य तक ही खुलेंगी। ऐसे में मैं कोशिश करूंगा कि अपना ज्यादा से ज्यादा गन्ना गुड़ इकाइयों को बेच दूं।' इस इलाके से गन्ना त्रिवेणी की खतौली इकाई में जाता है।
सतीश का कहना है कि गन्ने की खेती में लागत में पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, क्योंकि मजदूरी बहुत महंगी हो गई है। उन्होंने कहा, 'हमें खेतों में काम करने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं। वे 4 घंटे काम करने के लिए 120 रुपये मांग रहे हैं। बारिश में असमानता की वजह से शुरुआत में सिंचाई पर भी बहुत खर्च करना पड़ा है।'
सभी किसान जानते हैं कि चीनी की कीमतें पिछले साल की तुलना में दोगुनी हो गईं हैं। इसलिए उनका मानना है कि मिलों को उन्हें बेहतर दाम देना चाहिए। मुजफ्फरनगर के घंसीपुरा गांव के किसान रमेश सिंह, जो धामपुर की मंसूरपुर यूनिट में गन्ना बेचते हैं, का कहना है कि रोजाना का खर्च बहुत बढ़ गया है और राज्य सरकार को कम से कम 200 रुपये प्रति क्विंटल गन्ने के दाम तय करना चाहिए।
इस इलाके में गन्ने के प्रति किसानों का रुझान गुड़ इकाइयों की ओर बढ़ने को लेकर मिल मालिक सचेत हैं, क्योंकि देश भर में गन्ने के उत्पादन में 20 प्रतिशत की कमी का अनुमान लगाया गया है। उत्तर प्रदेश चीनी मिल एसोसिएशन ने केंद्र और राज्य सरकार से 15 जनवरी से पहले गुड़ इकाइयां शुरू किए जाने पर रोक लगाए जाने की मांग की है।
फेडरेशन आफ गुड़ ट्रेडर्स मुजफ्फरनगर के अध्यक्ष अरुण खंडेलवाल का कहना है कि गुड़ की कीमतों में दिसंबर के बाद कमी आ सकती है। उन्होंने कहा, 'इस साल 20-25 प्रतिशत और गुड़ की इकाइयां चालू हो रही हैं, जिसके चलते इसकी कीमतों पर दबाव पड़ सकता है। इससे उम्मीद की जा रही है कि जनवरी तक गुड़ इकाइयां बंद हो जाएंगी और इससे चीनी मिलों को मदद मिलेगी।' (बी स हिन्दी)
19 सितंबर 2009
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